कोलंबो। श्रीलंका ने चीनी नौसेना के जासूसी जहाज को श्रीलंका के बंदरगाह पर लंगर डालने की अनुमति नहीं दी है। इस संबंध में भारत का दबाव काम आया है। स्वयं श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने जानकारी दी कि उनकी सरकार ने चीन के जहाज को श्रीलंका में रुकने की इजाजत नहीं दी है।
चीन के जासूसी जहाज शिन यान-6 को अगले माह अक्टूबर में पूर्वी श्रीलंका के बंदरगाह पर पहुंच कर तीन माह तक वहां रुकना था। भारत ने जासूसी की आशंका जताते हुए इस पर आपत्ति जताई। अब श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा है कि श्रीलंका ने चीनी जहाज को अक्टूबर में श्रीलंका आने की इजाजत नहीं दी है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इसे लेकर चिंता जाहिर की थी, जो कि सही है और श्रीलंका के लिए भी बहुत अहम है। श्रीलंका ने हमेशा कहा है कि श्रीलंका अपने क्षेत्र को सुरक्षित रखना चाहता है। भारत की चिंताएं भी श्रीलंका के लिए महत्वपूर्ण हैं।
श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे ने भी कहा कि विदेशी जहाजों के श्रीलंका आने और यहां के क्षेत्र में कोई गतिविधि करने को लेकर एक एसओपी बनाई गई है। विदेशी जहाजों के श्रीलंका आने और इसे लेकर भारत की चिंताओं पर अली साबरी ने कहा कि भारत इसे लेकर लंबे समय से चिंता जता रहा है। ऐसे में हमने एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) तैयार किया है, जब हम एसओपी बना रहे थे तो हमने कई मित्र देशों से इसे लेकर चर्चा की, जिनमें भारत भी शामिल है। जब तक चीजें हमारे एसओपी के हिसाब से चलेंगी तो हमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अगर एसओपी का उल्लंघन हुआ तो हमें इससे दिक्कत होगी। अली साबरी ने कहा कि श्रीलंका ने चीन के जहाज को रुकने की इजाजत नहीं दी लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि अभी बातचीत जारी है।