आज अन्तर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस है। मातृ भाषा को सम्मान देते हुए हमें इसके लिए निम्रांकित बिन्दुओं को अपने व्यवहार में लाकर वैज्ञानिक एवं तार्किक दृष्टिकोण को जीवन में अपनाने का संकल्प करना चाहिए।
(1) सभी जगह अपने हस्ताक्षर अपनी मातृ भाषा में करें।
(2) घर, कार्यालय, दुकान के नाम पट्टिका एवं नाम पट्ट, पत्र शीर्ष, रसीद, बहियां, पंजिका, ब्रिकी कर वाउचर, रबर की मोहर आदि अपनी मातृभाषा में ही बनवाएं।
(3) किसी भी भाषा में बोले या लिखें तब ‘भारत’ शब्द का ही प्रयोग करें, इंडिया कभी नहीं
(4) जीवन के कार्य व्यवहार में मातृ भाषा अथवा राष्ट्र भाषा का ही प्रयोग करें
(5) विवाह आदि अपने पारिवारिक कार्यक्रमों के निमंत्रण पत्र मातृ भाषा हिन्दी अथवा संस्कृत में छापने का आग्रह रखें
(6) अपने व्यक्तिगत पत्र आवेदन आदि भी मातृ भाषा या हिन्दी में लिखें
(7) जहां दिनांक लिखते हैं वहां उसके साथ भारतीय तिथि लिखने का भी आग्रह रखें
(9) अपने बालकों को मातृ भाषा के माध्यम के विद्यालय में ही पढ़ायें
उपरोक्त प्रयास मातृ भाषा तथा राष्ट्र भाषा की गरिमा बढ़ाएंगे, उन्हें सम्मान प्राप्त होगा, जिसकी आज उपेक्षा की जा रही है।