सहारनपुर। पूर्वी दिल्ली के बेबी केयर सेंटर में आग लगने से छह नवजात शिशुओं की मौत के बाद उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर उत्तर प्रदेश में सरकारी अस्पतालों, होटलों और संस्थाओं में आग से निपटने के इंतजामों की जांच को अभियान शुरू किया गया हैं। पहले दो दिन में ही करीब-करीब सभी स्थानों पर बदइंतजामी का आलम पाया गया।
जिले में 100 से अधिक सरकारी और प्राइवेट अस्पतालें, मेडिकल कालेजें, अनेक माल्स, होटल आदि हैं। मुख्य अग्नि शमन अधिकारी प्रताप सिंह ने बताया कि विभाग की ओर से जिलाधिकारी डा. दिनेश चंद्र और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजीव मांगलिक को पत्र भेजकर आग्रह किया जा रहा है कि जो भी संस्थान उनके नियंत्रण में और संचालन में आते हैं वहां नोटिस भेजकर मानकों को पूरा करने के लिए काम किया जाए।
जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल और बच्चों के अस्पताल आदि के निरीक्षण बहुत खामियां मिली हैं। निजी अस्पतालों में भी हालत तसल्ली बख्स नहीं है। एक प्राइवेट अस्पताल का निकासी का दूसरा द्वार बंद मिला।सीएमओ डा. संजीव मांगलिक ने बताया कि वे सरकारी अस्पतालों में आग से निपटने के प्रबंधों का स्वयं भी निरीक्षण करेंगे। अग्नि शमन अधिकारियों ने दो दिन में 22 अस्पतालों का निरीक्षण किया हैं। निरीक्षण का काम जून के पहले हफ्ते तक चलेगा। मुख्य अग्नि शमन अधिकारी प्रताप सिंह ने बताया कि ज्यादातर होटलों में अग्नि शमन ईकाई क्रियाशील हालत में नहीं मिली। यही हालत सरकारी और निजी अस्पतालों की भी है। विद्युत विभाग के मुख्य अभियंता सुनील कुमार अग्रवाल के मुताबिक आग लगने की वजह आमतौर से शाट-सर्किट होती है।
गर्मी में विद्युत भार बढ़ने से तार चिपक जाते हैं। उनका सुझाव है कि सभी संस्थान अच्छी गुणवत्ता के तार और स्वीच आदि का इस्तेमाल करें। जांच में यह भी पाया गया कि बहुत से अस्पतालों के पास अग्नि शमन विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं है।
मुख्य अग्नि शमन अधिकारी प्रताप सिंह ने आगे बताया कि जिले में सात अस्पतालों के पास फायर एनओसी मिला है। अग्नि शमन अधिकारियों के दल ने बच्चों के अस्पतालों की गहराई से जांच-पड़ताल की। उन्होंने कहा कि जांच में जिन संस्थानों में कमियां पाईं जाएंगी उन्हें कम समय में नोटिस देकर मानकों का पालन करने को कहा जाएगा और ऐसा नहीं करने पर शीलबंदी की कार्रवाई की जाएगी।