Wednesday, June 26, 2024

जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बना दिया जाएगा, 31 अगस्त को विस्तृत बयान देगी केंद्र सरकार

नई दिल्ली- उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की किस समय सीमा के बारे में सोचता है, इसके बारे में उसे आधिकारिक तौर पर अवगत कराये।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की संविधान पीठ ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बनाने के लिए कोई समय सीमा है तो वे केंद्र से निर्देश प्राप्त कर शीर्ष अदालत को अवगत कारायें।

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मुद्दे पर उच्चतम स्तर पर निर्देश प्राप्त करने के बाद अपना रुख स्पष्ट करने के लिए 31 अगस्त तक का समय मांगा। उन्होंने कहा कि वह 31 अगस्त को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति के भविष्य पर एक विस्तृत बयान देंगे।

संविधान पीठ अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बचाव में सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद उनसे केंद्र सरकार का जम्मू कश्मीर को फिर राज्य का दर्जा बहाल करने के संबंध में आधिकारिक बयान देने को कहा।

शीर्ष अदालत ने केंद्र से सवाल किया, “क्या संसद के पास मौजूदा भारतीय राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने की शक्ति है।”

इस पर श्री मेहता ने जवाब दिया कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला स्थायी नहीं है। उन्होंने कहा, “जब चीजें सामान्य हो जाएंगी तो जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बना दिया जाएगा।”

सॉलिसिटर जनरल ने संविधान पीठ को बताया कि सदन (सांसद) में भी एक बयान दिया गया है और प्रयास किए जा रहे हैं। ‘एक बार प्रयास सफल हो जाएं और स्थिति सामान्य हो जाए तो हम इस ( राज्य बनाने) पर विचार करेंगे।’

श्री मेहता ने कहा, “हम हमेशा राष्ट्रीय एकता के पक्ष में हैं। मैं चुनाव और राजनीति की बात नहीं करूंगा। मैं राष्ट्रीय एकता के मुद्दे पर बात करूंगा। इसमें लोगों की भलाई का ध्यान रखा जा रहा है।”

इस पर पीठ ने कानून अधिकारी से कहा कि लोकतंत्र की बहाली भी महत्वपूर्ण है।

पीठ ने कहा, “लोकतंत्र की बहाली भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। हमारे पास ऐसी स्थिति नहीं हो सकती, जहां …कुप्रबंधन (अव्यवस्था) हो।”

श्री मेहता ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के 5 अगस्त 2019 के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि 2020 में दशकों में पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव हुए और कोई हड़ताल, कोई पथराव, कोई कर्फ्यू नहीं लगाना पड़ा।

उन्होंने विकास कार्यों का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत को बताया, “नए होटल बनाए जा रहे हैं। फैसले (अनुच्छेद 370 को निरस्त करने) से सभी को फायदा हुआ है।”

सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में पुनर्गठित करना उसी पैटर्न का पालन करता है, जैसा 1966 में सरकार ने पंजाब को विभाजित करके हरियाणा और चंडीगढ़ केंद्रशासित प्रदेश बनाने के लिए अपनाया था, जब यह राष्ट्रपति शासन के अधीन था।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,188FansLike
5,329FollowersFollow
60,365SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय