पीलिया एक ऐसा रोग है जो गंदगी में रहने से, दूषित जल के सेवन से, प्रदूषित वातावरण से और दूषित खाद्य पदार्थों के सेवन से होता है। अक्सर पीलिया के जीवाणु दूषित जल और दूषित खाद्य पदार्थों के सेवन से मनुष्य के शरीर में प्रवेश करते हैं। कभी-कभी पीलिया वाले व्यक्ति का खून दूसरे व्यक्ति को चढ़ा देने पर भी यह रोग हो जाता है। जिस सिरिंज से पीलिया वाले रोगी को इंजेक्शन दिया है उसी सुई को बिना बदले या बिना उबाले प्रयोग करने से भी दूसरे व्यक्ति में रोग के जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं।
पीलिया के लक्षण:- प्रारम्भिक अवस्था में व्यक्ति को भूख कम लगती है, पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है, उल्टी होने लगती है। कभी कभी कुछ भी खाने के बाद उल्टी होने लगती है। ऐसा महसूस होने पर लापरवाही नहीं करनी चाहिए। डाक्टर से शीघ्र परामर्श कर रक्त जांच करवानी चाहिए। शुरू की लापरवाही बीमारी को और जटिल बना देती है। पीडि़त व्यक्ति की आंखों और नाखूनों में पीलापन आना शुरू हो जाता है और चक्कर भी आने लगते हैं। पेशाब भी काफी पीला आता है। समय पर रोग पकड़ में न आने पर शरीर के लाल रक्त कण खत्म होते चले जाते हैं। लक्षण दिखाई देने पर पेशाब और खून की जांच करवा कर दवा लेना प्रारम्भ कर देना चाहिए। इसमें रोगी के लिए आराम करना आवश्यक होता है। पीलिया के प्रभाव से लिवर और किडनी पर प्रभाव पड़ता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। बढऩे वाले बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित करता है।
सावधानियां (परहेज):- परिवार में किसी व्यक्ति को पीलिया होने पर उससे बच्चों को दूर रखें। कच्चा सलाद खाने को न दें, पानी उबाल कर दें। रोगी के बर्तन अलग साफ करें, कपड़े और बिस्तर अलग से धोएं। रोगी के बचे हुए भोजन का प्रयोग न करें। रोगी की लार, थूक आदि से परहेज रखें। थूक आने पर या लार आने पर टिशु पेपर का प्रयोग करें और ढके डस्ट-बिन में डाल दें।
पीलिया के रोगी के साथ शारीरिक संबंध से परहेज करें। पीलियाग्रस्त स्त्रियों को स्तनपान नहीं करवाना चाहिए। परहेज करते समय ध्यान रखें कि रोगी को मानसिक चोट न पहुंचे। ऐसे में मानसिक तनाव रोग और अधिक बढ़ाने में मदद कर सकता है।
उपचार:- अक्सर पीलिया का अधिक प्रभाव तीन सप्ताह तक रहता है, फिर धीरे धीरे कम होने लगता है। पूर्ण ठीक होने में छ: सप्ताह तक लग सकते हैं। संतुलित भोजन, सफाई, आराम, स्वच्छ जल के सेवन से आप इस रोग से जल्दी ठीक हो सकते हैं। रोगी को क्या देना है, क्या नहीं, इसकी सही जानकारी डॉक्टर से लें और दवा समय पर देते रहें। ग्लूकोज पानी, मूली का रस, मूली की रोटी, गन्ने का रस देना हितकर होता है। मूली का रस तो आप घर पर सफाई से निकाल कर दे सकते हैं। गन्ने का रस साफ जगह से धुले हुए साफ जग में अपने सामने निकलवा कर रोगी को दे सकते हैं।
– सुनीता गाबा