नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एमआर शाह ने गुजरात के पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग करने से इनकार कर दिया है। संजीव भट्ट ने मांग की थी कि उनके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से जस्टिस एमआर शाह को अलग किया जाए।
इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट में दोषसिद्धि के खिलाफ सुनवाई तब तक टालने की मांग की गई है, जब तक अतिरिक्त सबूत पेश करने की याचिका पर फैसला नहीं हो जाता। याचिका में कहा गया है कि वर्तमान याचिका पर पहले जस्टिस शाह ने फैसला किया था, जब वह गुजरात हाई कोर्ट के जज थे।
भट्ट को गुजरात के जामनगर में सेशंस कोर्ट ने नवंबर 1990 में जामजोधपुर निवासी प्रभुदास वैष्णानी की हिरासत में मौत के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। गुजरात हाई कोर्ट ने उनकी सजा को निलंबित करने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
यह मामला प्रभुदास माधवजी वैष्णानी की मौत से संबंधित है, जो कथित तौर पर नवंबर 1990 में पुलिस हिरासत के दौरान यातना से मरे थे। उस समय भट्ट जामनगर में सहायक पुलिस अधीक्षक थे। संजीव भट्ट ने दूसरे अधिकारियों के साथ वैष्णानी समेत करीब 133 लोगों को भारत बंद के दौरान दंगा करने के आरोप में हिरासत में लिया था।