कैराना। देश व प्रदेश की अर्थव्यवस्था से लेकर आंतरिक व्यवस्थाओं को संचालित करने के लिए राष्ट्रीय महापर्व एवं निर्वाचन परिक्रमा को भी शिक्षण कार्य एवं बोर्ड की परीक्षा प्रभावित न हो इसके लिए टाला जाता है। लेकिन यहां सब कुछ उल्टा हो रहा है गत 16 फरवरी से दसवीं व बारहवीं की बोर्ड परीक्षा शुरू हुई है।
नगर का तितरवाड़ा मार्ग दर्जनों गांवों सहित आसपास से इस्सोपुर टील कॉलेज में सैकडों छात्र छात्राएं दोनों पाली में परीक्षा देने जाते है। भला आबादी के बीच मेला घरों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का ध्यान तो दिन रात भंग करेंगा ही साथ ही परीक्षा देने जाने वालों को भी भटकाएगा। यह सब आदेशों की अवहेलना की जारही है।
आखिर इस लापहरवाही का जिम्मेदार होगा कौन ?
शिक्षण संस्थाओं का कार्य प्रभावित न हो इसके लिए देशभर की तमाम व्यवस्थाएं कटिबन्ध है। वही नगर के तितरवाड़ा मार्ग पर आबादी के मध्य सजाया जा रहा मेला बोर्ड की परीक्षा के दौरान शैक्षणिक गतिविधियों को प्रभावित कर रहा है। लेकिन स्थानीय अधिकारी इस ओर आंखे बंद किए हुए बैठे है।
बताया जा रहा है कि तहसील प्रशासन की ओर से मेले की अनुमति प्रदान की गई है। जिसमें मार्च माह तक मेला लगाया जाएगा। प्रशासन छात्र छात्राओं के हितों एवं बोर्ड की परीक्षा में होने वाली बाधाओं व विद्यार्थियों की समस्याओं के ओर ध्यान नहीं दे पाया है। जिसके चलते कोरोना काल जैसी समस्याएं छात्र छात्राओं को झेलनी पड़ सकती है।
मानकों के अनुरूप मेला परिसर मार्ग पर शिक्षण संस्थान एवं धार्मिक स्थल नजदीक नहीं होने चाहिए। लेकिन मार्ग पर बहुत शानदार शिक्षण संस्थान भी कुछ ही मीटर पर मौजूद है। लेकिन मेला संचालक़ ने सभी बिंदुओं को छुपाकर एवं प्रशासन को गुमराह कर अनुमति स्वीकृत कराई गई है।
प्रशासन की लापरवाही के चलते खमियाजा हजारों छात्र छात्राओं को भुगतान पड़ सकता है। प्रशासन समय रहते मेले की अनुमति निरस्त करते हुए मेले संचालक के खिलाफ कार्रवाई कर अवैध मेले को हटवाने से सभी को राहत मिलेगी।