मुजफ़्फरनगर। शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने पांच का पहाड़ा नहीं सुनाने पर अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र की सहपाठियों से पिटाई करा दी थी। इसी दौरान जातीय टिप्पणी का भी आरोप है। मंसूरपुर क्षेत्र के गांव खुब्बापुर थप्पड़ कांड में आरोपी शिक्षिका तृप्ता त्यागी का अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया गया है।
अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट की पीठासीन अधिकारी अलका भारती ने सुनवाई की। बचाव पक्ष ने अदालत में तर्क दिया था कि मंसूरपुर पुलिस शिक्षिका की गिरफ्तारी कर उसकी छवि धूमिल करना चाहती है। 24 अगस्त 2023 को हुए प्रकरण की गूंज अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंची। सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है।
बचाव पक्ष की ओर से स्थानीय अदालत में अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया। शिक्षिका की ओर से कहा गया कि मामले को सांप्रदायिक रंग देने की नियत से मुकदमा दर्ज कराया गया। घटना से आहत होने के बाद स्कूल भी बंद कर दिया है। दिव्यांग होने की बात कहते हुए गिरफ्तारी की आशंका जताई गई।
अभियोजन पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि पीडि़त की धार्मिक भावनाएं और धार्मिक विश्वास को विद्वेषत: अपमानित किया गया। अदालत ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।
ज्ञातव्य है कि मंसूरपुर थाना क्षेत्र में खुब्बापुर गांव के स्कूल में 24 अगस्त 2023 को शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने पांच का पहाड़ा नहीं सुनाने पर अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र की सहपाठियों से पिटाई करा दी थी। इसी दौरान जातीय टिप्पणी का भी आरोप है। पीडि़त छात्र के चचेरे भाई ने वीडियो बना लिया।
वीडियो के वायरल होते ही देशभर से प्रतिक्रियाएं आने लगीं। आरोपी शिक्षिका पर 26 अगस्त को एनसीआर दर्ज हुई। छह सितंबर को मुकदमा दर्ज हुआ। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।