आंखों के निम्नलिखित व्यायामों में सेे यदि कुछ को भी आप प्रतिदिन करें तो कोई कारण नहीं कि चालीस वर्ष तक पहुंचते-पहुंचते आपकी आंखों में भी हर दूसरे आदमी की तरह चश्मा चढ़े या उनमें कोई और विकार हो। तो आइये, क्यों न आज ही इसके कुछ व्यायाम करना सीख लिये जाये।
लगातार पढ़ते, कुछ देखते या बारीक काम करने के बीच में पुतलियों के निम्न व्यायाम करें।
पहला:- आंखों को चौड़ा कर पुतलियों को दायें से बायें चक्राकार घुमायें। कुछ देर पलकें बंद रखें, फिर यही क्रिया उल्टे क्रम में बायें से दायें दोहरायें, 15-20 बार।
दूसरा:- आंखें खोलकर पुतलियों को एक सीध में दायें से बायें व फिर उल्टे क्रम में तेजी से चलायें, 15-20 बार।
यही क्रिया पलकें बंद करके करें।
तीसरा:- खुली आंखों की पूरी लंबाई-चौड़ाई में पुतलियों से दांई ओर ऊपर और बांई ओर नीचे देखें। फिर बाई ओर ऊपर और दांई ओर नीचे देखें।
चौथा:- अंगूठे से आंख की पुतली व भौंह की हड्डी के नीचे वाले गड्डे को हल्के हाथों से दबायें। 4-5 बार आंख की पुतलियों को घुमाने का अभ्यास पहले-पहल आंख के सामने पेन या पेंसिल को छ: फुट की दूरी पर रख कर करें।
कुछ और
कानों के आगे-पीछे की हड्डियों की उंगलियों के पोरों से ऊपर नीचे क्रम में मालिश करें।
भौंहों को स्थिर रखते हुए तेजी से पलकें झपकायें।
आंखें कस कर भींच लें। फिर अधिक से अधिक खोल कर फैला लें।
बायीं व दायीं आंख को एक-एक करके तेजी से खोलें, बंद करें, 10-15 बार।
हथेली के उभरे हिस्सों से आंख को बंद करके इतना दबायें कि तारे से झिलमिलाते हुए दिखाई दे।
सामने किसी सूक्ष्म आकृति पर आंखें जमा कर हथेली से क्रमश: एक-एक आंख कुछ मिनट के अंतर से बंद करें। इसके तुरंत बाद अत्यंत दूर स्थित किसी चीज, पहाड़, पेड़, हरियाली, आकाश आदि को देखें। इससे नेत्र लैंस की क्षमता बढ़ती है।
दृष्टि को कुछ देर नाक की नोक पर टिकाये रखें।
सामने एक शीशा रखकर एक-एक करके दोनों आंखों की तरफ टकटकी लगा कर देखें। इससे आंखों में चमक आती है व आंख की ‘बीनाई’ तेज होती है।
आंख की ऊंचाई के बराबर समानान्तर लगभग तीन फीट की दूरी पर मोमबत्ती जला कर रखें व उसकी ज्वाला को कुछ देर तक लगातार घूरें। इससे नेत्रों की कार्यक्षमता व एकाग्रता बढ़ती है।
सीधे लेट कर सिर से नीचे से तकिया हटा दें। अब पैरों को ऊंचा उठायें। इससे आंखों में अधिक रक्त संचार होता है, दृष्टि तेज होती है व आंखों में चमक आती है।
सोने से पहले पुतलियों के सभी व्यायाम करें। फिर आकाश या तारे पर अंतिम दृष्टि डालकर सो जायें। इससे नेत्र लैंस सिकुड़ेगा नहीं।
आंखों के लिये सबसे श्रेष्ठ व आवश्यक व्यायाम ‘सोना’ व ‘रोना’ ही है। तभी तो पश्चिम जर्मनी में सोने और अमेरिका, इंग्लैड में रोने के लिये क्लब तेजी से विकसित होते जा रहे हैं।
– नरेन्द्र राठौर