नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के पूर्व प्रधान सचिव एम. शिवशंकर को जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (जेआईपीएमईआर) पांडिचेरी में मेडिकल जांच कराने को कहा।
सेवानिवृत्त नौकरशाह शिवशंकर को इस साल अगस्त में लाइफ मिशन मामले में उनके खिलाफ दायर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के सिलसिले में शीर्ष अदालत ने चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दी थी।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश की अध्यक्षता वाली पीठ से आग्रह किया कि वह शिवशंकर की केरल के बाहर किसी सरकारी अस्पताल में जांच कराने का निर्देश दे।
तदनुसार, पीठ ने, जिसमें न्यायमूर्ति अरविंद कुमार भी शामिल थे, पांडिचेरी के जेआईपीएमईआर में शिवशंकर की चिकित्सा जांच करने का आदेश दिया और कहा कि वह मामले की आगे की सुनवाई शीतकालीन अवकाश के बाद करेगी।
इस बीच, उसने निर्देश दिया कि पहले दी गई अंतरिम जमानत को सुनवाई की अगली तारीख तक बढ़ाया जाए।
शिवशंकर की ओर से अधिवक्ता ए. सेल्विन राजा की सहायता से वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मुथुराज उपस्थित हुए।
पिछली सुनवाई में ईडी ने विस्तार देने का विरोध करते हुए कहा था कि शिवशंकर का आवेदन निजी अस्पतालों द्वारा जारी प्रमाणपत्रों पर आधारित है।
शिवशंकर को 31 जनवरी को सेवा से सेवानिवृत्त होने के तुरंत बाद केंद्रीय एजेंसी ने लाइफ (आजीविका, समावेशन और वित्तीय सशक्तिकरण) मिशन से संबंधित रिश्वत मामले में गिरफ्तार कर लिया था।
लाइफ मिशन केरल सरकार की एक आवास सुरक्षा योजना है जिसका उद्देश्य राज्य के सभी भूमिहीन और बेघर निवासियों को घर उपलब्ध कराना है।
यह आरोप लगाया गया है कि कई व्यक्तियों, जिनमें शिवशंकर सहित सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं, ने लाइफ मिशन परियोजना के माध्यम से केरल में बाढ़ पीड़ितों के लिए यूएई रेड क्रिसेंट से प्राप्त धन से आर्थिक लाभ और अवैध संतुष्टि प्राप्त की।