– खुंजरि देवांगन
सुखद दांपत्य जीवन के लिए यह आवश्यक है कि पति पत्नी के बीच का रिश्ता स्वस्थ हो लेकिन यह बात
इतनी भी आसान नहीं जब पति बात करते करते अखबार के पीछे अपना मुंह छिपा कर बैठ जाए। जब
आप की बात सचिन तेंदुलकर की सेंचुरी से भी अधिक जरूरी हो और पति का ध्यान टीवी के ’एक्शन
रीप्ले‘ में उलझा हो, तब शायद आपकी नाराजगी आसमान छू जाए।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि दांपत्य जीवन में ऐसी स्थिति उलझने या झगड़ने की नहीं होती। अपनी
बात पति तक पहुंचाने के भी तरीके होते हैं। पति अक्सर कहते हैं, ’मैं सुन तो रहा हूं, तुम कहती
जाओ,‘ लेकिन पत्नी को पूरा विश्वास होता है कि उसकी बात पति तक नहीं पहुंच रही है क्योंकि उनका
ध्यान कहीं और है। पत्नी बार बार अपनी बात दोहराती जाती है। पत्नी जहां अपनी बात दोहराती है,
पति की प्रक्रिया होती है ’पीछे मत पड़ जाया करो।‘
आपके साथ भी कुछ कुछ ऐसा ही होता है न ? अगर ऐसा है तो आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि
यह कोई नई बात नहीं। दुनियां भर की सभी विवाहित महिलाओं की यह एक आम समस्या है और सभी
पत्नियां पति को अपनी बात सुनाने के लिए सदियों से जूझती आ रही हैं।
दांपत्य जीवन में बेहतर संवाद प्रक्रिया अपनाने के लिए मनोवैज्ञानिक 5 विशेष रास्ते सुझाते हैं जिससे आप
पति को अपनी बात बखूबी समझा सकें।
सही वक्त चुनें: पति जब रात का खाना खाकर आराम से बैठकर रिलैक्स कर रहे हों, तब अपनी बात कहें।
यहां बुजुर्ग महिलाओं की सलाह एक तरह से सही बैठती है क्योंकि पुरूष तसल्ली से बात तब सुनते हैं,
जब वह पूरी तरह रिलैक्स मूड में होते हैं।
कहें कि बात कितनी लंबी है: पुरूष आदतन महिलाओं की तरह बात को खींचकर कहने में विश्वास नहीं
रखते। लंबी खिंचती बात से पुरूष जल्दी उलझ जाते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए अपनी बात
छोटी कर के कहें। आप बात जितनी जल्दी खत्म करेंगी, पति को अपनी सफलता का अहसास उतना ही
अधिक होगा।
हाव भाव से नाराज न हों: विशेषज्ञों का मानना है कि पुरूष अगर बात सुन भी रहें होंगे तो भी उनकी बॉडी
लैंग्वेज स्त्रिायों से भिन्न होती है। उसका महिलाएं कई बार गलत अर्थ लगा लेती हैं। बातचीत के दौरान
महिलाएं गर्दन हिलाती हैं, मुस्कुराती हैं या नाराजगी दर्शाती हैं जिससे उनके बात के सुनने का आभास
मिलता है लेकिन पुरूषों से बात करते समय कई बार उनकी बॉडी लैग्ंवेज से लगता है जैसे वे बात
ध्यान से नहीं सुन रहे। उनकी निगाहें या तो कहीं और होती हैं या उनके देखने के अंदाज में खालीपन
होता है। इसलिए कुछ पूछने पर अगर आप अपने पति का ध्यान अपनी तरफ न पाएं तो चीखें नहीं।
उन्हें थोड़ी मोहलत दीजिए। हो सकता है वे आप की बात पर गौर कर रहे हों।
पति की टोकाटाकी से विचलित न हों: अध्ययन यह भी बताते हैं कि पुरूष महिलाओं की तुलना में अधिक
टोकाटाकी करते हैं। इसलिए आप की बात के बीच में अगर आप का साथी कुछ कहे तो चिंता न करें।
अपने हाथ के इशारे से उस से आग्रह करें कि वे आपकी बात पूरी होने दें। ’प्लीज 2 मिनट के लिए
पहले मेरी बात सुनें‘ जैसे वाक्य आप दोहरा सकती हैं पर आप का बात कहने का अंदाज गुस्से से भरा
नहीं होना चाहिए।
पहले से सोच कर रखें: अगर पति से की जाने वाली बात जरूरी है तो आप पहले से सोच कर रखें कि
क्या कहना है। अपनी बात कहने व समझने को लेकर पहले से ही की गई तैयारी काफी मददगार
साबित होती है। शुरू शुरू में आपको इस तरह सोच कर बात करना अटपटा लग सकता है लेकिन बाद
में आपको इसकी अहमियत का अंदाजा होने लगेगा।
हमेशा याद रखें: दांपत्य में पति पत्नी दोनों के लिए यह समझना आवश्यक है कि हैल्दी रिलेशनशिप क्या
है ? यह ठंडे दिमाग से सोचने का विषय है। अक्सर पत्नियां यह तर्क देती है कि मैं एक ही बात को
बार बार क्यों कहूं ?
पति तक अपनी बात पहुंचाने के लिए क्या करें
– बोलने से पहले एक बार अवश्य सोचें।
– बात करने से पहले अपने अंदर का गुस्सा शांत कर लें।
– पति को पहले ही बता दें या आगाह कर दें कि आप उसके साथ गंभीरता के साथ बात करना चाहती हैं।
– अपने शरीर के हाव भाव सामान्य रखें। पति से आंख मिलाकर बात करें। आप की बात में ठहराव व
शांति हों।
– तसल्ली से बात करने के लिए उस का शुक्रिया करना न भूलें।
क्या न करें
– पति पर शिकायतें मढ़ने के अंदाज से बचें।
– पति को यह न कहें कि तुम कुछ सुनना नहीं जानते।
बुजुर्ग महिलाएं क्या कहती हैं
– पति के भोजन करने के बाद ही अपनी बात कहें।
– अपनी बात चतुरता के साथ कहें। बात कहने का ढंग ऐसा हो कि पति को लगे कि सारा आइडिया उन्हीं
का है।
– ऐसे विषयों पर बात न करें जो उन्हें बोर करें।
– पत्नियां अपनी बात कहने के लिए ऐसा तरीका अपनाएं जिस में ज्यादा प्यार झलके और वे पति को
लेकर मन में उत्पन्न होने वाले आलोचनात्मक विचार अपने तक ही सीमित रखें।
– आपकी बात कहने का ढंग ऐसा हो जिससे पति को यह महसूस हो कि आप उनकी परिस्थिति से
भलीभांति परिचित हैं।
– पति अगर आपकी बात सुनें और जैसा आप चाहती हैं वैसा करें, तो उन के इस सकारात्मक रवैय्ये की
सराहना करना न भूलें। भावनाओं और आंसुओं का सहारा लेकर अपनी बात न करें। (उर्वशी)