Saturday, July 27, 2024

मद्रास हाईकोर्ट ने श्रीलंकाई शरणार्थी शिविरों में पैदा हुए बच्चों को भारत की नागरिकता देने की जनहित याचिका खारिज की

चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने गुरुवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें तमिलनाडु में मौजूद श्रीलंकाई शरणार्थियों के शिविरों में पैदा हुए सभी बच्चों को भारत की नागरिकता देने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी।

मुख्य न्यायाधीश संजय वी. गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती की पीठ ने माना कि जनहित याचिका में विवरण नहीं है और संबंधित अधिकारी याचिका पर तभी विचार कर पाएंगे, जब उसमें जन्मतिथि और स्थान, माता-पिता की नागरिकता जैसी बुनियादी जानकारी दी हुई रहेगी।

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

जनहित याचिका दायर करने वाले चेन्नई के वकील वी. रविकुमार ने कहा कि उन्होंने शिविरों में जन्म लेने वाले श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों के प्रत्येक बच्चे को भारतीय नागरिकता देने के मुद्दे पर विचार करने के लिए 17 सितंबर, 2022 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को एक आवेदन दिया था।

इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 14 दिसंबर, 2022 को उन्हें एक विस्तृत पत्र भेजा, जिसमें बताया गया कि शरणार्थी शिविरों में पैदा हुए बच्‍चों के लिए नागरिकता का दावा नहीं किया जा सकता।

इसमें कहा गया है कि सिरिमावो-शास्त्री समझौते, 1964 और सिरिमावो-गांधी समझौते, 1974 की शर्तों के अनुसार, भारतीय मूल के तमिलों को भारतीय नागरिकता दी गई थी।

इसके अलावा, इस मुद्दे को भारतीय मूल के लोगों पर लागू नागरिकता अधिनियम की धारा 5(1)(बी) के तहत नागरिकता दी गई थी। हालांकि, 1964 के समझौते के तहत आवेदन करने की वैधानिक समय सीमा 31 अक्टूबर, 1981 तय की गई थी। भारतीय मूल के वे तमिल जो कट-ऑफ तारीख से पहले आवेदन नहीं कर पाए थे, वे धारा 5(1)(बी) के तहत भारतीय नागरिकता पाने के हकदार नहीं होंगे।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि कोई विदेशी, जो वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश करता है, उसे नागरिकता कानून की धारा 2 (1) (बी) के तहत केवल अवैध प्रवासी माना जाएगा।

कानून कहता है कि वे सभी लोग, जिनका जन्म 1 जुलाई 1987 को या उसके बाद (जब 1986 का संशोधन लागू हुआ, लेकिन 2003 के संशोधन से पहले) भारत में हुआ था, वे केवल जन्म के आधार पर भारतीय नागरिकता का दावा कर सकते हैं, बशर्ते जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक रहा हो।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि जन्म के आधार पर नागरिकता के लिए कोई भी दावा नागरिकता अधिनियम की धारा 3 के अनुसार किया जाना चाहिए।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,098FansLike
5,355FollowersFollow
83,303SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय