नई दिल्ली। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि देश भर में केंद्र सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ कई आंदोलन हो रहे हैं, जोकि नजर नहीं आ रहे हैं। जहां किसान संगठन कमजोर हैं, वहां सरकार मजबूत है। ऐसे में गांवों में बैठक करनी जरूरी है। केंद्र सरकार ने 22 जनवरी, 2021 के बाद से किसान संगठनों से कोई बातचीत नहीं की है। यह सरकार किसी पार्टी की नहीं, बल्कि पूंजीवादियों की सरकार है। यह बातें भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) टिकैत के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहीं। वह रामलीला मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित किसान-मजदूर महापंचायत में किसानों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि ये विचारधारा के आंदोलन हैं। इससे सरकार को संदेश दिया है कि सभी संगठन एक हैं। यह आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। सरकार को बातचीत के जरिए मांगों को लेकर रास्ता निकालना चाहिए। किसी भी पार्टी की सरकार हो, अगर किसानों के खिलाफ फैसले लेगी तो उसका विरोध किया जाएगा। सरकार संयुक्त किसान यूनियन को तोड़ना चाहती है। सरकार सिख समाज को बदनाम कर रही है। लेकिन, पूरा देश किसानों के साथ है। राकेश टिकैत ने आरोप लगाते हुए कहा कि महापंचायत में शामिल होने के लिए किसानों की ट्रेनों को रोका जा रहा है, बसों में जाकर किसानों को डरा रहे हैं। यह किसान मजूदरों की हक की लड़ाई है। किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिन में फसल नहीं बिकती, लेकिन जमीन रात में बिक जाती है। जब तक सरकार किसान-मजदूरों की मांग को पूरा नहीं करती है, तब तक विरोध जारी रहेगा।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू), संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) समेत कई किसान संगठन ने रामलीला मैदान में पहुंचे। एसकेएम ने किसान शुभकरण सिंह की मृत्यु और किसान आंदोलन के खिलाफ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग की। वहीं, घटना की न्यायिक जांच और जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है। इस दौरान एसकेएम ने केंद्र सरकार के विरोध में संकल्प पत्र जारी किया।
किसानों ने आह्वान किया कि सरकार की नीतियों के विरोध में देशव्यापी जन प्रतिरोध खड़ा करो। इसमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, केरल समेत अन्य राज्यों से आए किसानों ने सरकार की नीतियों के विरोध में हुंकार भरी। महापंचायत में महिला, बुजुर्ग व युवा किसान शामिल रहे। यहां तक की कई किसान अपने बच्चों के साथ चिलचिलाती धूप में अपनी मांगों को लेकर डटे रहे। किसान ने हाथों में बैनर, यूनियन के झंडे व जमकर नारेबाजी करते दिखे।
किसानों ने आगे की रणनीति को लेकर बताया कि 23 मार्च को देश भर में बड़े स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि सरकार ने किसानों को बॉर्डर पर बैरिकेडिंग और कीलें लगाकर आने से रोका है। अब किसान उन्हें अपने गांव में आने से रोकेंगे। गांव में घुसने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि यह खेती-किसानी की भविष्य की लड़ाई है। किसान शांत हुआ है, लेकिन अपनी मांगों को लेकर पीछे नहीं हटे हैं। बड़ी संख्या में किसान रामलीला मैदान में जुटे रहे।
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों का दल फरीदाबाद से दिल्ली के लिए रवाना हुआ था। इसे लेकर पुलिस सतर्क नजर आई। दिल्ली जाने से पहले किसान पलवल में इकट्ठा हुए। फिर ट्रेन और बस में सवार होकर दिल्ली के लिए रामलीला मैदान के लिए रवाना हुए। इस दौरान किसानों ने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा उनकी ट्रेन को रोका गया। वहीं, बस के ड्राइवरों को पीटा गया है। अभी कई किसान संगठनों के कार्यकर्ता नहीं पहुंचें हैं।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि एमएसपी मिलने से अरबपति नहीं बन जाएंगे। किसानों के पास सरकार से लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। जब लड़ते हैं, तो आंसू गैस चलाते हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कह कि वीजा पासपोर्ट रद्द किया जा रहा है। एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 21376 रुपये हर साल किसान पर कर्जा चढ़ता है। 2000 से 2015 तक एमएसपी से 45 लाख करोड़ रुपये कम मिला है। एक एकड़ सरसों का नुकसान हो रहा है।
हरियाणा-पंजाब का युवा जमीन बेचकर विदेश जा रहा है। सरकार ने अगर किसानों की मांग नहीं मानी तो सरकार और किसानों की आर-पार की लड़ाई होगी। रामलीला मैदान दिल्ली में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने एमएसपी एवं अन्य किसान मुद्दों पर मीडिया से बात करते हुए आगामी योजना बनाई। इस अवसर पर उनके साथ में मंडल महासचिव सरदार गुरमेल सिंह बाजवा, किसान चिंतक सरदार सतनाम सिंह हंसपाल, कवलजीत सिंह, ज्ञानी जसविंदर सिंह आदि मौजूद रहे।