Sunday, February 23, 2025

Mahakumbh 2025 गंगा में आस्था की बयार, महाशिवरात्रि स्नान से पहले श्रद्धालुओं का सैलाब

प्रयागराज। महाकुंभ 2025 की आध्यात्मिक ऊर्जा से प्रयागराज गुलजार हो उठा है। महाशिवरात्रि स्नान से पहले संगम तट पर श्रद्धालुओं का विशाल सैलाब उमड़ पड़ा है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से यहां पहुंचे हैं।

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महाकुंभ 2025 की आधिकारिक शुरुआत भले ही कुछ समय बाद हो, लेकिन महाशिवरात्रि स्नान से पहले ही श्रद्धालुओं की भीड़ से संगम तट खचाखच भर गया है। हर तरफ हर-हर महादेव के जयकारे गूंज रहे हैं। साधु-संतों की टोलियां अपने अखाड़ों के झंडे और ध्वज लेकर कुंभ नगरी में प्रवेश कर रही हैं।

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महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर श्रद्धालु विशेष रूप से गंगा स्नान कर शिव अराधना में लीन हो जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। बड़ी संख्या में कांवड़िए भी यहां पहुंचे हैं, जो जलाभिषेक के लिए गंगाजल भरकर ले जा रहे हैं।

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प्रयागराज प्रशासन और पुलिस महाशिवरात्रि स्नान को लेकर पूरी तरह सतर्क है। संगम क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है, साथ ही ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की जा रही है। घाटों पर एनडीआरएफ और जल पुलिस की विशेष टीमें तैनात हैं ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

 

महाकुंभ के मुख्य आकर्षण अखाड़ों की पेशवाई भी महाशिवरात्रि के अवसर पर देखने को मिलेगी। संत समाज के विभिन्न अखाड़े अपने अनुयायियों के साथ भव्य जुलूस के रूप में संगम नगरी में प्रवेश कर रहे हैं। इनमें नागा संन्यासी, महामंडलेश्वर, साधु-महंत और अन्य संत अपनी परंपराओं के अनुसार आगमन कर रहे हैं।

 

महाशिवरात्रि स्नान महाकुंभ 2025 के मुख्य स्नानों में से एक माना जा रहा है। इसे देखते हुए प्रयागराज में श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। धर्मशालाओं, टेंट सिटी और विभिन्न अस्थायी शिविरों में श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की गई है।

 

महाशिवरात्रि स्नान की तिथि: 26 फरवरी 2025 संगम, प्रयागराज,अखाड़ों की पेशवाई, नागा साधुओं का आगमन, भव्य आरती,प्रशासन की तैयारियां: सुरक्षा बलों की तैनाती, ड्रोन से निगरानी, मेडिकल कैंप लगेगा।

महाकुंभ 2025 का यह महाशिवरात्रि स्नान श्रद्धालुओं के लिए एक अनूठा आध्यात्मिक अनुभव बनने जा रहा है। संगम की पावन धारा में आस्था की बयार प्रवाहित हो रही है, और हर भक्त इसमें खुद को धन्य मान रहा है।

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