हम जीते तो वर्तमान में हैं, किन्तु बहुधा चिंतन हम अपने अतीत और भविष्य का करते हैं। यदि वर्तमान का सदुपयोग किया जाये तो भविष्य स्वत: ही सुधर जायेगा, क्योंकि वर्तमान भविष्य का निर्माता है।
जीवन में सुखों की प्राप्ति के उपाय और वर्तमान को जीने की कला को जानना ही जीवन की सार्थकता है और उस सार्थकता के लिए काल बोध की आवश्यकता है।
यह काल बोध ही मनुष्य को यह अहसास कराता है कि जीवन क्षण-भंगुर है। इसका प्रत्येक पल बहुमूल्य है, जो एक पल बीत जाता है, वह कभी लौटकर नहीं आता।
भविष्य निर्माण का केवल एक सूत्र है वर्तमान का भरपूर सदुपयोग। समय की इस अनुभूति के साथ जीने वाले लोग बहुत ऊंचाईयों तक पहुंचते हैं।
सदैव याद रखने वाली बात यह है कि इस पल के बीत जाने के बाद नया पल आयेगा और वर्तमान का पल फिर कभी लौटकर नहीं आयेगा और जो आने वाला है, वही तो मनुष्य का भविष्य है।
वर्तमान को संवारिये भविष्य स्वयं संवर जायेगा। जिसने वर्तमान को संवार लिया, उसे भविष्य में कभी पछताना नहीं पड़ेगा। जो वर्तमान की उपेक्षा करते हैं वे हाथ मलते रह जाते हैं।