बरेली। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि यह रमजान का महीना चल रहा है, कुछ दिन में रमजान खत्म हो जाएगा। इस सिलसिले में इस्लाम में जकात का एक निजाम और फलसफा पेश किया है। वो एक ऐसा फलसफा है जो मालदार मुस्लिम अपना लें। हिंदुस्तान के मुस्लिमों की गरीबी गुरबत कमजोरी भुखमरी दूर हो जाएगी। जकात में मालदार मुस्लिम आगे और सामने आएं। जकात का निजाम कायम करें। इससे कमजोर मुस्लिमों की मदद होगी।
मुज़फ्फरनगर पुलिस ने बरामद किये गुम हुए मोबाइल, स्वामियों को किये सुपुर्द, उनमे छाई ख़ुशी
शहाबुद्दीन रजवी ने सोमवार को अपने एक बयान में कहा कि बैतुलमाल में तमाम मुस्लिम अपने जकात का पैसा जमा करें। बैतुलमाल में गरीब कमजोर बेवा लोगों की लिस्ट हो। लिस्ट का सर्वे कराने के बाद उसका पैसा उन जरूरतमंद गरीब मुस्लिमों पर खर्च किया जाय। जहां पिछड़े, और पसमांदा के इलाके हैं, वहां पर मदरसे, स्कूल अस्पताल खोले जाएं। यहां गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाय। उन्होंने कहा कि जो पढ़े लिखे बेरोजगार है। उन्हें जकात के पैसे से रोजगार मुहैया कराया जाए। उन्हें अपने पैरों में पर खड़े होने की ताकत दी जाए।
मुज़फ्फरनगर में सरकारी भूमि पर भूमाफियाओं ने किया कब्ज़ा, एसडीएम ने निर्माण कार्य रुकवाया
रजवी ने कहा कि भारत का मुस्लिम जकात को अपना ले, तो एक भी मुस्लिम गरीब नहीं बचेगा। सब खुश हो जाएंगे और मुस्लिमों की गरीबी खत्म हो जाएगी। जो हुकूमत के आगे हाथ फैलाए खड़े हैं और उनसे भीख मांगते हैं, यह सब खत्म हो जाएगा। मालदार मुस्लिम सामने आएं जकात को अपनाएं बैतुलमाल कायम करें। उसके जरिए गरीब मुस्लिमों की गरीबी को खत्म करें। मौलाना ने कहा कि रमजान के महीने का सबसे अहम काम जकात अदा करना है, जो किसी भी देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकती है। जकात आर्थिक स्थिति को बढ़ाने में बहुत ताकतवर है।
ये बदलाव का इंजन है। जकात में जद्दोजहद करने वाले लाखों लोगों की जिंदगियों को बदलने और उन्हें खुद कफील (अपने पैरों पर खड़ा होना) बनाने की ताकत है। ये गरीब लोगों की एक बड़ी आबादी को उनके पांव पर खड़ा कर सकती है। इसको अपनाने से अमीरी और ग़रीबी के फर्क को कम किया जा सकता है।