कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि केंद्र ग्रामीण गरीबों को ऑनलाइन गतिविधियों के चक्कर में धकेल कर उनका जीवन दयनीय बना रहा है।
मुख्यमंत्री ने पश्चिम मिदनापुर जिले में एक प्रशासनिक समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कहा, केंद्र सरकार ग्रामीण लोगों के जीवन में संपूर्ण ऑनलाइन प्रणाली शुरू करना चाहती है। लेकिन हाशिए पर रहने वाले समुदाय इसके आदी कैसे हो सकते हैं? ऐसे में उनका जीवन दयनीय होता जा रहा है।
उन्होंने दावा किया कि केंद्र ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत 100 दिन की नौकरी योजना के लिए पैसे के भुगतान के लिए आधार कार्ड को बैंक खातों से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है। लेकिन क्या केंद्र सरकार को पता है कि राज्य के कई ग्रामीण ब्लॉकों में एक भी बैंक शाखा नहीं है? वहां रहने वाले लोग क्या करेंगे?
इस अवसर पर बोलते हुए, उन्होंने पश्चिमी मिदनापुर जिले के बाढ़ प्रभावित जिलों में समाधान लाने के लिए घाटाल मास्टर प्लान के लिए राशि का भुगतान नहीं करने के लिए केंद्र सरकार की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, जब तक हमें इस संबंध में केंद्रीय कोष नहीं मिल जाता, तब तक हम इस योजना को लागू नहीं कर पाएंगे।
प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत धन जारी करने के लिए केंद्र की कथित अनिच्छा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए, सीएम बनर्जी ने कहा, इस योजना के तहत धन अकेले प्रधानमंत्री द्वारा प्रदान नहीं किया जाता है जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा है। राज्य सरकार के पास भी इस योजना में अपने हिस्से का फंड है। केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर मद के तहत राज्य से बड़ी रकम जमा करती है। लेकिन वे उसमें राज्य का हिस्सा जारी करने से हिचक रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार उन लोगों के लिए बहुत सी शर्तें लगा रही है जिन्हें पीएमएवाई के तहत घर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार सभी शर्तें कैसे तय कर सकती है, जब राज्य सरकार के पास भी योजना में अपना हिस्सा है।