मुंगेर। तमिलनाडु के त्रिपुर में लगातार हिंदी भाषियों पर हमले हो रहे हैं। इस घटना में कुछ लोगों के मारे जाने की भी खबर है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, लगातार हिंसा की घटना से बिहार के मुंगेर जिले के भी कई मजदूर भय के साए में जीने को विवश हैं।
दरअसल, तमिलनाडु के त्रिपुर में एक बिहारी टोला है, जिसे छोटा असरगंज के रूप में जाना जाता है। यहां मुंगेर के असरगंज के कई लोग रहकर काम करते हैं, लेकिन इन दिनों व्याप्त हिंसा के दौरान त्रिपुर से असरगंज लौटने का सिलसिला भी अब शुरू हो गया है।
त्रिपुर से लौटे असरगंज थाना क्षेत्र के रहमतपुर बासा निवासी सतनारायण पंजियारा के पुत्र 19 वर्षीय रोशन कुमार ने बताया कि त्रिपुर में हमारे कॉलोनी के आस-पास हिंदी भाषियों पर अभी हमले नहीं हो रहे हैं, लेकिन, कुछ ही दूरी पर हिंदी भाषियों पर लगातार हमले होने से वहां दहशत का माहौल कायम है। इसलिए वहां से किसी तरह अपनी जान बचाते हुए अपना घर असरगंज लौट गए हैं।
रोशन कुमार ने बताया कि वहां से लौटने का एक ही सहारा रेल सेवा है, जिसमें टिकट नहीं मिल रहा है। आलम यह है कि किसी तरह से रेल की खिड़की के अंदर से ट्रेन के कोच में घुसकर 3 दिन में असरगंज पहुंचे हैं। कई लोग डर के मारे ट्रेन के शौचालय में बैठकर किसी तरह भागकर अपने घर आ रहे हैं। रोशन कुमार ने बताया कि आनन-फानन में वह अपने माता-पिता और भाई को छोड़कर घर आए हैं।
पोता रोशन कुमार के पहुंचने पर दादा-दादी काफी खुश हैं, लेकिन, बेटा और बहू के नहीं आने पर वृद्ध महिला काफी चिंतित है। रोशन कुमार ने केंद्र सरकार और बिहार सरकार से तमिलनाडु राज्य में फंसे हजारों लोगों को त्रिपुर से सुरक्षित निकालने की गुहार लगाई है, साथ ही वहां के रेलवे स्टेशन का भी एक वीडियो जारी किया कि जो स्टेशन और ट्रेन की हालात बयां करता है।