लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अहम कदम उठाया है। एमबीबीएस डॉक्टरों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। सबसे ज्यादा ध्यान मातृ एवं शिशु मृत्युदर में कमी लाने का रखा गया है।
दरअसल, यूपी में डॉक्टरों की भर्ती लगातार चल रही है। लोक सेवा आयोग से एमबीबीएस डॉक्टर भर्ती किये जा रहे हैं। नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के माध्यम से डॉक्टर रखे जा रहे हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती भी संविदा समेत दूसरे माध्यम से की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग से रिटायर डॉक्टरों की भी सेवाएं ली जा रही हैं।
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने की दिशा में अहम कदम उठाये जा रहे हैं। भर्ती के साथ एमबीबीएस चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए नियमित एमबीबीएस डॉक्टरों को दो प्रकार का प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि एमबीबीएस डॉक्टरों को कॉम्प्रिहेंसिव इमरजेंसी आब्सट्रेक्स एंड न्यूबार्न केयर व लाइफ सेविंग एनस्थेटिक स्किल का प्रशिक्षण दिलाया जायेगा। गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए फस्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) को मजबूत किया जा रहा है।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का कहना है कि प्रशिक्षित एमबीबीएस चिकित्सकों को एफआरयू में तैनात किया जायेगा। ताकि वहां से बेवजह जच्चा-बच्चा को बड़े अस्पतालों में रेफर करने की जरूरत न पड़े। इससे बड़े अस्पतालों में रोगियों का दबाव कम होगा। गंभीर रोगियों को बड़े अस्पतालों में आसानी से इलाज भी मिल सकेगा।