पिछले सप्ताह रविवार को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी जब जापान में हुई जी-7 की बैठक के बाद इंडो-पैसिफिक देश पापुआ न्यू गिनी पहुंचे, तब वहां के इतिहास में तीन अद्वितीय घटनाएँ हुईं। एक तो यह किसी भी भारतीय प्रधान मंत्री द्वारा इंडो-पैसिफिक देश का पहला दौरा था और दूसरा यह कि पापुआ न्यू गिनी ने पहली बार सूर्यास्त के बाद आने वाले किसी भी नेता का औपचारिक स्वागत किया।जबकि पापुआ न्यू गिनी की परंपरा में सूर्यास्त के बाद किसी का औपचारिक स्वागत करने की परंपरा नहीं है।
हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री का वहां न केवल औपचारिक स्वागत किया गया, बल्कि एयरपोर्ट पर पारंपरिक लोक नृत्य का भी आयोजन किया गया। तीसरी अहम घटनाथी पोर्ट मोरेस्बी एयरपोर्ट पर पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे द्वारा नरेंद्र मोदी के पैर छूकर आशीर्वाद मांगना। शायद ही ऐसा कभी हुआ है कि एक राष्ट्राध्यक्ष ने दूसरे किसी राष्ट्राध्यक्ष का सार्वजनिक रूप से पैर छूकर आशीष लिया हो।
अपने अग्रज के आदरपूर्वक पैर छूकर आशीष लेने के सांस्कृतिक अभिवादन व अभिव्यक्ति को किसी दूसरे देश द्वारा अपने व्यवहार में लाना, हम सभी भारतीयों के लिए गौरव तो है ही हमारी सांस्कृतिक आस्थाओं को भी दुनिया में स्थान मिलने का प्रमाण है। इसलिए तीनों घटनाएँ सामान्य नहीं हैं।
आधुनिक युग में राष्ट्राध्यक्षों के स्वागत मेजबान देश के प्रोटोकॉल के अनुसार ही नियोजित किये जाते हैं। उनमें कोई बड़ा बदलाव तभी होता है, जब सामने वाला राष्ट्राध्यक्ष भी किसी महान देश और उसकी विरासत का असाधारण नेतृत्व करने वाला हो।
नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर आज दुनिया में एक ऐसे ही महान देश के असाधारण नेता माने जाते हैं। इसका भी ताजा उदाहरण हमें उनके गत विदेश दौरे में देखने को मिला,जब पापुआ न्यू गिनी के बाद हमारे पीएम ऑस्ट्रेलिया पहुंचे। बीते 23 मई को कुडोस बैंक एरिना में बीस हजार लोगों के जनसैलाब के समक्ष ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज ने नरेंद्र मोदी को ‘बॉस’ बताया। उन्होंने कहा- मोदी इज दि बॉस।
किसी समकक्ष नेता के मुंह से ऐसे वाक्य यूं ही नहीं निकलते, इसके लिए सामने किसी विराट व्यक्तित्व का होना अपरिहार्य है।इसलिए पिछले नौ साल में मोदी जी की लगभग 65 देशों की यात्राओं से हटकर इन घटनाओं को देखना चाहिए।
यह विदेश यात्रा तो इसलिए भी बहुत मायने रखती है कि इस दौरान हमारे लोकप्रिय असाधारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिजी और पापुआ न्यू गिनी के सर्वोच्च सम्मानों से विभूषित किया गया।
ये सम्मान उन्हें ग्लोबल साउथ के विषयों को आगे बढ़ाने और उनके वैश्विक नेतृत्व के लिए दिया गया है। फिजी के प्रधानमंत्री सितिवेनी राबुका ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘कंपैनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी’ दिया जो बहुत ही कम बाहरी लोगों को दिया गया है।भारतीय प्रशांत द्वीप देशों की एकता और ग्लोबल साउथ लक्ष्यों की अगुवाई करने के लिए पापुआ न्यू गिनी ने भी मोदी जी को ‘कंपैनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहू’ से सम्मानित किया।
जाहिर सी बात है कि ग्लोबल साउथ यानी गैर यूरोपीय (लगभग 100) देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में अपना नायक देख रहे हैं। यह उनके नेतृत्व कौशल का ही कमाल है कि नौ साल के कार्यकाल में अमेरिका, रूस और मिडिल ईस्ट समेत कई देशों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्मानित किया है। वर्ष 2016 में सऊदी अरब ने गैर-मुस्लिम गणमान्य को दिए जाने वाले अपने सर्वोच्च सम्मान ‘अब्दुलअज़ीज़ अल सॉद’ से सम्मानित किया था।
अफगानिस्तान ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग़ाज़ी अमीर अमानुल्लाह ख़ान’ से नवाज़ा। 2018 में फिलिस्तीन ने मोदी को विदेशी गणमान्य नागरिकों को दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘ग्रांड कॉलर ऑफ द स्टेट’ दिया। संयुक्त अरब अमीरात ने भी 2019 में अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ज़ायेद मेडल’ से मोदी का सम्मान किया।
इसी कड़ी में दुनिया की बड़ी शक्ति रूस ने भी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘सेंट एंड्रू अवॉर्ड’ से सम्मानित किया तोबहरीन ने 2019 में ‘किंग हमाद ऑर्डर ऑफ दि रेनेसां’ दिया, जो खाड़ी देशों का सर्वोच्च सम्मान है। मालदीव ने किसी भी विदेशी नागरिक को दिया जाने वाला सर्वोच्चसम्मान 2019 में ‘निशान इज़्जुदीन अवॉर्ड’ मोदी को दिया।
अमेरिकी सरकार ने 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका सशस्त्र बलों के लिए उत्कृष्ट सेवाओं और उपलब्धियों के प्रदर्शन में असाधारण आचरण के लिए दिया जाने वाला ‘लीजन ऑफ मेरिट’ अवार्ड मोदी को प्रदान किया। पड़ोसी देश भूटान भी उन्हें 2021 में सर्वोच्च नागरिक अलंकरण ‘ऑर्डर ऑफ दि ड्रक गियल्पो’ से सम्मानित कर चुका है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वैश्विक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए उन्हें 2018 में सियोल पीस प्राइस’ से नवाजा गया था।
वैश्विक सम्मान की ऐसी श्रृंखला यह जाहिर करती है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारा देश दुनिया में बड़ी भूमिका निभाने की इबारत लिख चुका है। दुनिया समझ रही है कि महान देश भारत को एक असाधारण नेतृत्व मिला है, जिसने अपने देश के पुराने गौरव को वापस लाने में भगीरथ भूमिका निभायी है।यह कोई साधारण बात नहीं है कि जब 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब हमारी योग परंपरा को वैश्विक स्वीकृति मिली और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हुई।
2014 में ग्लोबल इकोनॉमी में भारत दसवें स्थान पर था, जो कि 2022 में ब्रिटेन को बाहर करके पांचवें स्थान पर आ गया। अब जर्मनी को पछाड़कर यह चौथी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। भारत की यह शक्ति उसके असाधारण नेतृत्व के कारण बढ़ी है। इसलिए दुनिया के नेताओं ने मोदी के करिश्माई नेतृत्व को परख लिया है एवं उन्हें नरेंद्र मोदी में विश्व का नेतृत्वकर्ता दिखाई देता है।
सदियों से भारत विश्व को राह दिखाने वाला राष्ट्र रहा है, इसीलिए यह विश्व गुरु की भूमिका निभाने का अधिकारी भी रहा। हर कालखंड में दुनिया के देशों ने भारत से वैश्विक नेतृत्व की आकांक्षा रखी है, परन्तु दशकों से भारत को इस भूमिका को निभाते हुए नहीं देखा गया। लेकिन 2014 के बाद बदलते भारत को देखकर विश्व ने भी यह अनुभव किया है कि अब यह देश नये नेतृत्व के साथ नयी भूमिका में आ गया है।
चाहे वह पड़ोसी देशों के विवाद हों, विश्व आपदाएँ हों, सामरिक चुनौतियां हों या आर्थिक मोर्चा, सारे मामलों में भारत का अब निजी नजरिया और निर्णय होता है। यह नजरिया इसके नेतृत्व की कार्यशैली से सिद्ध हुआ है। आतंकवाद को कुचलने हेतु भारतीय सेना अब पाकिस्तान में घुसकर स्ट्राइक करती है।मोदी सरकार अपने सैनिक अभिनंदन को बिना शर्त तत्काल वापस लाती है। विश्व शक्तियों की आंख में आंख डालकर भारत ने कश्मीर में धारा 370 को विदा कर दिया। श्रीराम मंदिर जैसे मसलों का हल निकाल कर दुनिया को अपनी अंदरुनी ताकत का एहसास भी करा दिया।
सदी के सबसे बड़े मानवीय संकट (कोविड) में अनेक देशों को वैक्सीन देकर वसुधैव कुटुम्बकम की भावना और विश्व गुरु की भूमिका को चरितार्थ करने वाले नेतृत्व को दुनिया ने देखा है। देश में मुफ्त वैक्सीन का अनूठा अभियान भी दुनिया देख चुकी है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सक्षम-समर्थ भारत अपनी वैश्विक भूमिका के साथ आगे बढ़ रहा है।
(लेखक-विष्णु दत्त शर्मा)