नयी दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा है कि तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मोदी ने तीन करोड़ आवास देने का ढिंढोरा पीटना शुरू कर दिया है, जबकि उन्होंने अब तक गरीबों को आवास देने का पुराना वादा पूरा नहीं किया है।
खडगे ने मंगलवार को कहा “लोकसभा चुनाव में देश ने ऐसा जवाब दिया कि मोदी सरकार को दूसरों के घरों से कुर्सियां उधार लेकर अपना सत्ता का ‘घर’ संभालना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री ने 17 जुलाई 2020 को देश को ‘मोदी की गारंटी’ दी थी कि 2022 तक हर भारतीय के सिर पर छत होगी। ये ‘गारंटी’ तो खोखली निकली। अब तीन करोड़ प्रधानमंत्री आवास देने का ढिंढोरा ऐसे पीट रहे हैं, जैसे पिछली गारंटी पूरी कर ली हो।”
उन्होंने कहा “देश असलियत जानता है -इस बार इन 3 करोड़ घरों के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है, कोई डेडलाइन नहीं दी गई है, क्योंकि भाजपा ने पिछले 10 वर्षों में कांग्रेस-यूपीए के मुक़ाबले 1.2 करोड़ घर कम बनवाए। कांग्रेस ने 2004-13 तक 4.5 करोड़ घर, भाजपा ने 2014-24 तक 3.3 करोड़ घर बनाए हैं। मोदी की आवास योजना में 49 लाख शहरी आवास – यानी 60 प्रतिशत घरों का अधिकांश पैसा जनता ने अपनी जेब से भरा।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा “एक सरकारी बेसिक शहरी घर औसतन 6.5 लाख का बनता है, उसमें केंद्र सरकार केवल 1.5 लाख देती है। इसमें 40 प्रतिशत योगदान राज्यों और नगरपालिका का भी होता है। बाक़ी का बोझ का ठीकरा जनता के सिर पर आता है और वो भी क़रीब 60 प्रतिशत का बोझ। ऐसा संसदीय कमेटी ने कहा है। समाचार पत्रों से पता चला है कि नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में जो ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के तहत 8 गाँवों को विकसित करने के लिए गोद किया था वहाँ ग़रीबों के पास, ख़ासकर दलित व पिछड़े समाज के पास अब तक पक्के घर नहीं पहुँचे। अगर कुछ घर हैं तो भी उनमें पानी नहीं पहुँचा है, नल तक नहीं है।”
उन्होंने कहा “जयापुर में, जो मोदी द्वारा गोद लिया गया पहला गाँव है, कई दलितों के पास घर और कार्यात्मक शौचालय नहीं हैं। नागेपुर में भी स्थिति ऐसी ही है – इसके अलावा, सड़कें भी खराब स्थिति में हैं। परमपुर में पूरे गांव में नल लगे हैं लेकिन उन नलों में पानी नहीं है। पूरेगांव में पिछले दो महीनों से पानी की आपूर्ति नहीं थी। वहां कई दलित और यादव समाज के लोग मिट्टी के घरों में रहते हैं।”