मेरठ। देश के 21 शहरों में दस करोड़ से अधिक लोग भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं। मेरठ जिले के 12 में से चार ब्लॉक डार्क जोन में हैं। अगर अभी नहीं चेते तो आने वाले समय में यह संकट बड़ा हो सकता है। यह चेतावनी भरी जानकारी रविवार को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में समाज विकास संस्थान की ओर से आयोजित जल संकट चुनौतियां और समाधान विषय पर हो रही चर्चा में सामने आईं।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भारतीय गोवंश विकास परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मसिंह ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण वर्षा पैटर्न में परिवर्तन और सूखा बढ़ रहा है। पानी की कमी सतत विकास में सबसे बड़ी बाधा है। अगर इसी रफ्तार से भूजल का स्तर गिरता रहा तो आने वाले दिनों में लातूर जैसे हालात पैदा हो जाएंगे। इससे बचने के लिए खेती में पानी की खपत को कम करना होगा। पानी बचाने के लिए सघन अभियान चलाना होगा। जलवायु परिवर्तन और बढ़ती जनसंख्या से जल स्रोतों पर दबाव बढ़ रहा है।
शोभित विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विनोद त्यागी ने कहा कि दुनिया के जिन देशों में प्रचुर मात्रा में जल उपलब्ध है वहां सर्वांगीण विकास का पैमाना भी अलग है। जल संरक्षण के लिए सरकारें कार्यक्रम संचालित कर रही हैं लेकिन जब तक जनता की सहभागिता नहीं होगी, इस समस्या से निपटने में कामयाबी नहीं मिलेगी। उन्होंने नीति आयोग की 2018 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश के 21 शहर जिसमें दिल्ली, बंगाल, चेन्नई, हैदराबाद शामिल हैं, यहां रहने वाले 10 करोड़ लोग जल संकट की भीषण समस्या से जूझ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के वकील सुशील कुमार शर्मा ने कहा कि जल दोहन की यही स्थिति रही तो देश के अधिकांश हिस्सों में जल की भारी किल्लत पैदा होने वाली है। हमारे देश में भूजल रिचार्ज की दर बेहद कम है। इसे बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि मेरठ जिले में 12 में से 4 ब्लॉक ऐसे हैं जो डार्क जोन में हैं। बाकी ब्लॉक में तेजी से भूजल का स्तर गिर रहा है।