मेरठ। शिवरात्रि पर आज लाखों की संख्या में कांवड़ियों ने बाबा औघड़नाथ मंदिर पर पहुंचकर हाजिरी का जल चढ़ाया। अन्य शिवालयों में अभिषेक किया गया। मंदिर में त्रियोदशी का जल शनिवार सुबह चार बजे से आरंभ हो गया है। शिवरात्रि पर चतुर्दशी का जलाभिषेक शनिवार रात्रि 8:09 बजे से आरंभ हो जाएगा। मंदिर में आज शाम तक 2 लाख से अधिक शिव भक्तों ने जलाभिषेक कर लिया था।
बाबा औघड़नाथ मंदिर में शाम से कांवड़ियों का पहुंचना आरंभ हो गया था। इस बार कांवड़ियों में 10वीं और 11वीं के छात्रों की संख्या अधिक रही। छह साल से दस वर्ष की आयु वर्ग के बच्चे भी माता-पिता के साथ कांवड़ लाए। बाबा औघड़नाथ मंदिर पर नैंसी चौराहा और दर्शन एकेडमी के पास बैरिकेडिंग की गई है।
प्रशासनिक पंडाल, जूता चप्पल स्टैंड के साथ विभिन्न सामाजिक धार्मिक संगठनों के द्वारा सेवा शिविर लगाए गए हैं। मोदीपुरम पर मेरठ की कई झांकी कांवड़ शुक्रवार सुबह ही पहुंच गई। मोदीपुरम, रुड़की रोड, बेगमपुल, सदर और छावनी में विभिन्न पंड़ालों में कांवड़िया रुके हुए हैं।
एनकाउंटर में खाए थे 12 चाकू, भोलेनाथ ने बचाई थी जान
रोहटा रोड निवासी सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर विष्णु ने बताया कि वह आठ बार कांवड़ ला चुके हैं। उन्होंने बताया कि जब वह हरिद्वार में पोस्टेड थे तो उन्होंने दो चेन स्नैचरों को दबोच लिया। चेन स्नैचरों ने विष्णु पर चाकू से हमला कर दिया। पेट और कमर पर 12 वार किए गए। विष्णु ने बताया कि वह बेहोशी की हालत में शिव का नाम जपते रहे। स्वस्थ होने के बाद संकल्प लिया कि अब भोले के नाम की कांवड़ लाएंगे। विष्णु के साथ उनका बेटा हिमांशु कांवड़ लेकर आया। शिव सेवा समिति ग्रास मंडी के दसवें भंडारे में उनके मिलने उनकी बेटी पूजा और पुत्रवधु भी पहुंची। उन्होंने बताया कि नौ जुलाई को जल उठाया था और 13 को मेरठ पहुंच गए।
वहीं कंकरखेड़ा निवासी अश्वनी ने बताया कि वह एसडी स्कूल में 11 वीं छात्र हैं। पिता कुलदीप शर्मा पुरोहित हैं। वह सालों से कांवड़ ला रहे हैं। इस बार वह भी उनके साथ कांवड़ लेकर आया। अश्वनी ने बताया कि यात्रा के दौरान उन्होंने कांवड़ के सभी नियमों का पूरी श्रद्धा के साथ पालन किया। मेडिकल क्षेत्र निवासी हिमांशु और प्रियांशु ने बताया कि वह भी 11 वीं कक्षा के छात्र हैं और पहली बार कांवड़ लाए हैं।
सुभाषपुरी निवासी विशाल ने बताया कि वह किसान इंटर कॉलेज में 11 वीं कक्षा में पढ़ता है। कई बार कांवड़ ला चुका है। इस बार उसके साथ उसकी बहन राधिका और भारती भी कांवड़ लाई हैं। रात दिन चलकर तीन दिन में हरिद्वार से मेरठ पहुंच गए है।
तेजगढ़ी निवासी रामवती ने बताया कि वह 10 बार कांवड़ ला चुकी हैं। भोले का नाम लेकर ही सभी दुख दूर हो जाते हैं। इस बार दस साल की पोती सोनाक्षी भी कांवड़ लाने की जिद करने लगी तो उसको भी साथ ले लिया। पूरे रास्ते भोले का नाम लेते चली और कहीं भी थकान महसूस नहीं हुई है।