Saturday, April 27, 2024

क्या कपिल देव और गौरव स्वरुप में तालमेल बनवा पाएंगे संजीव बालियान, अंजू अग्रवाल अगर भ्रष्ट तो बीजेपी और मंच पर जगह क्यों ?

मुज़फ्फर नगर लोकसभा सीट से आप किसे सांसद चुनना चाहते हैं |

– अनिल रॉयल 

मुजफ्फरनगर नगरपालिका की नवनिर्वाचित चेयरमैन मीनाक्षी स्वरूप ने आज नगरपालिका की कमान संभाल ली है। सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप ने उन्हें शपथ ग्रहण कराई। इस मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान,प्रदेश के राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत समेत नगर के काफी प्रमुख चेहरे वहां मौजूद थे। अपने निकाय चुनावी अभियान में गौरव स्वरुप लगातार यह कहते रहे हैं कि वह नगर पालिका को

मुज़फ्फरनगर में संजीव बालियान और कादिर राणा में बन रहे है ‘व्यापारिक रिश्ते’, केंद्रीय मंत्री की पत्नी सुनीता बालियान गयी थी राणा हाउस ?

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भ्रष्टाचार से मुक्त करना चाहते हैं, इसलिए उन्हें वोट दें। नगर की जनता ने उन्हें वोट देकर इस कुर्सी पर काबिज भी करा दिया है, अब उम्मीद है कि वह अपनी घोषणा का पालन करेंगे। नवनिर्वाचित अध्यक्षा मीनाक्षी स्वरुप को नगर पालिका की अध्यक्ष बनने पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं और वे नगर में सच में साफ सफाई और विकास की गति बढ़ाएंगी, यह उम्मीद भी नगर की जनता की तरफ से उनसे की जाती है !

आज मीनाक्षी स्वरुप के नए चेयरमैन बनने के समय ही वह वीडियो भी सामने आता है, जो मीनाक्षी स्वरुप के चुनावी कार्यालय के उद्घाटन का है। उस उद्घाटन समारोह में बुढ़ाना के पूर्व विधायक उमेश मलिक ने प्रदेश के राज्य मंत्री और मुजफ्फरनगर के विधायक कपिल देव अग्रवाल पर सीधा हमला बोलते हुए यह आरोप लगाया था कि कपिल देव किसी को

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शहर में नगरपालिका चलाने नहीं देंगे।  बाद में अपने भाषण में कपिल देव ने भी यह साफ कर दिया था कि नगर पालिका परिषद का ज्यादातर हिस्सा उनकी विधानसभा का ही भाग है,ऐसे में नगरपालिका तो उन्हीं के हिसाब से चलेगी।

केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ संजीव बालियान ने बात को उस समय संभालने की कोशिश तो की थी लेकिन उन्होंने भी अपने भाषण में पिछले 10 साल को नगर पालिका के ‘भ्रष्टाचार का काल’ बता दिया था। संजीव बालियान शायद भूल गए थे कि 10 साल में उस समय की भी गिनती कर रहे थे, जिस समय उन्हीं की पार्टी में शामिल हुई अंजू अग्रवाल चेयरमैन थी और संजीव बालियान ने ही उन्हें भारतीय जनता पार्टी में शामिल कराया था।

अगर संजीव बालियान मानते हैं कि नगरपालिका में अंजू अग्रवाल के कार्यकाल में करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ था तो उस महिला को भारतीय जनता पार्टी से अब तक क्यों नहीं निकाला गया ?  आज जब बीजेपी की ही नई चेयरमैन शपथ ले रही

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थी, तो उसमें भी संजीव बालियान ने अंजू अग्रवाल को मंच पर ही अपने बराबर में कुर्सी क्यों दी थी ? ऐसा कोई प्रोटोकॉल भी नहीं है कि नए चेयरमैन की शपथ में पुरानी चेयरमैन को बुलाया ही जाए। आखिर जिसे केंद्रीय मंत्री भ्रष्ट कह रहे थे उसे भाजपा महिमामंडित क्यों कर रही है ?  मोदी- योगी राज में भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात की जाती है तो या तो अंजू बेईमान नहीं, अगर है तो पार्टी में और मंच पर क्यों है ?

मुजफ्फरनगर में राजनीतिक हल्कों में पिछले कुछ समय से यह चर्चा बहुत आम है कि केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान और राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल के रिश्ते मधुर नहीं हैं। कई प्रकरण है जब दोनों मंत्री अलग-अलग पक्षों की सिफारिश करते नजर आए हैं और कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि डॉक्टर बालियान, कपिल देव पर सार्वजानिक रूप से भड़क भी पढ़े है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर संजीव बालियान, जैसा कि चुनावी दफ्तर के उद्घाटन के समय कह रहे थे, क्या वह तीनों का सामंजस्य बनाकर शहर में विकास करा पाएंगे ? इस लेख को पूरा पढ़ने से  पहले रॉयल बुलेटिन का वह वीडियो भी देखें-

मुजफ्फरनगर नगर पालिका के अध्यक्ष पद के लिए गौरव स्वरुप परिवार का टिकट तो  चुनाव अधिसूचना के बाद ही घोषित किया गया है, लेकिन इस सभी जानते थे कि टिकट गौरव स्वरूप का ही पक्का है। सॉलिटेयर होटल में एक समारोह में तो मैंने खुद कई महीने पहले गौरव स्वरुप की मौजूदगी में ही कपिल देव से कहा था कि टिकट तो गौरव का पक्का है, गौरव चुनाव जीत जाते हैं तो मुजफ्फरनगर की राजनीति में आपका क्या होगा मंत्री जी ?

स्वर्गीय विद्याभूषण के बाद मुजफ्फरनगर की वैश्य राजनीति में एक बड़ा शून्य बन गया था, पिछले 40 साल में कई वैश्य  विधायक बने, सोमांश जी बने, अशोक कंसल , सुशीला अग्रवाल बनी, 3 बार कपिल भी बने लेकिन शहर की राजनीति में स्वरूप परिवार मजबूती से अपनी स्थिति बनाए रहा।  6 चुनाव हारने के बाद भी मुजफ्फरनगर की राजनीति में यह परिवार लगातार प्रासंगिक बना रहा है। इस बार दल बदला और जीत फिर स्वरुप  परिवार के घर आ गई और वह भी उस दल के टिकट पर, जिस दल का शहर में अपना एक बड़ा जनाधार है। ऐसे में गौरव की जीत, कपिल देव के राजनीतिक भविष्य पर क्या असर डालेगी इस पर सबकी नज़र बनी रहेगी।

नगर पालिका के चुनाव में यह पूरे शहर को पता है कि कपिल देव अग्रवाल से जुड़े लोग गौरव स्वरूप को हराने में लगे हुए थे।  टिहरी सरिये और एमजी पब्लिक स्कूल के मालिक सतीश गोयल के बारे में तो रॉयल बुलेटिन ने बाकायदा खबर भी प्रकाशित की थी कि उन्होंने नोटा का बटन दबाया था। सतीश गोयल वैसे तो दोनों मंत्रियों के करीबी हैं लेकिन कपिलदेव से उनके रिश्ते बहुत ज्यादा प्रगाढ़ रहे हैं और कपिल की वजह से ही संजीव बालियान भी एमजी पब्लिक स्कूल

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के मामले में सतीश गोयल की सभी सिफारिशें करते रहे हैं। सतीश गोयल ने तो काफी लोगों के सामने खुद भी स्वीकार किया है कि उन्होंने और उनके समर्थकों ने नोटा को वोट दिया है। एमजी पब्लिक स्कूल के विवाद में भी मुख्यमंत्री कार्यालय से हाल ही में दो आदेश हो गए हैं जिनमें स्कूल से जुड़े मामलों की पूरी जांच कराई जाएगी और जो भी तथ्य होंगे उस पर शासन स्तर से सख्त कार्यवाही के संकेत दे दिए गए है।

संजीव बालियान और कपिल देव अग्रवाल में बाहरी रिश्ते किसी को कैसे दिखते हो, पर राजनीतिक जानकारों के मुताबिक  दोनों के रिश्ते अंदर से ठीक नहीं है। यह दोनों भी जानते हैं, इनके नजदीकी लोग भी जानते हैं।  निकाय चुनाव में टिकट बंटवारे में भी यह खुलकर साफ नज़र आये है। संजीव बालियान ने कई महीने पहले जब गौरव स्वरूप का टिकट दिलाना तय किया था, तभी गौरव को सलाह दी थी कि वह कपिल देव अग्रवाल से मिलकर अपने संबंध ठीक कर ले। गौरव ने कपिल को फोन भी किया था और मिलने का समय मांगा था जिस पर कपिल देव, खुद ही गौरव के घर चले गए थे, काफी देर बैठ कर दोनों ने चुनाव के बारे में चर्चा भी की थी और मदद के वायदे भी हुए थे।

चुनाव के बीच में अलग-अलग सूत्रों से साफ खबर आती रही कि कपिल कहे कुछ भी, पर कपिल के काफी लोग गौरव को जिताना नहीं चाहते, गौरव की अपनी रणनीति रही, मैनेजमेंट रहा, गौरव जीत गए, ऐसे में संजीव बालियान के सामने यह बहुत बड़ा सवाल होगा कि वह कपिल देव और गौरव में सामंजस्य कैसे बनवा पाते हैं ?

राजनीति की थोड़ी भी समझ रखने वाले इस शहर के सब लोग जानते हैं कि जैसे जैसे गौरव बीजेपी की राजनीति में बढ़ेंगे, वैसे वैसे भारतीय जनता पार्टी में कपिल देव का कद कम होगा और कपिल देव भी अब राजनीति में इतने कमजोर खिलाड़ी नहीं है कि वह अपने कंधे पर चढ़ाकर गौरव को बढ़ाने की कोशिश करें, ऐसे में संजीव बालियान कैसे सामंजस्य बनवा पाते हैं, यह उनके भी राजनीतिक कौशल की परीक्षा होगी।

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