गाजियाबाद। नगर निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही दिल्ली से सटे गाजियाबाद नगर निगम में भी सियासी हलचल एकाएक बढ़ गयी है। गाजियाबाद निकाय चुनाव 11 मई को होगा, जबकि नतीजे 13 मई को आएंगे। खास बात यह है कि स्थापना के बाद से गाजियाबाद नगर निगम पर लगातार भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है। इसलिए सबसे ज्यादा घमासान भाजपा के दावेदारों के बीच मचा है।
गाजियाबाद नगर निगम का इतिहास पर एक नजर
नगर निगम का गठन वर्ष 1995 में हुआ था और 1996 में महापौर पद का पहला चुनाव हुआ था। गाजियाबाद के सबसे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता दिनेश चंद गर्ग यहां के महापौर चुने गए थे। इसके बाद से लगातार छह बार गाजियाबाद नगर निगम पर भाजपा प्रत्याशियों ने विजयश्री हासिल की।
प्रदेश में भले ही किसी भी दल की सरकार रही हो, लेकिन गाजियाबाद में भाजपा का ही कब्जा रहा। 1996 के बाद दिनेश चंद गर्ग वर्ष 2000 में पुनः भाजपा प्रत्याशी के रूप में गाजियाबाद में पुनः महापौर चुने गए। वर्ष 2006 में यह सीट महिला के लिए आरक्षित हुई और भाजपा ने दमयंती गोयल को चुनावी दंगल में उतारा और भाजपा व सपा प्रत्याशी पर फतह हासिल करते हुए वह गाजियाबाद की महापौर बनीं।
इसके बाद 2012 में बीजेपी ने अपने बुजुर्ग नेता व वरिष्ठ पत्रकार नेता तेलू राम कंबोज को चुनाव मैदान में उतारा, उन्होंने भी जीत हासिल की। बीच में ही उनके निधन के बाद उपचुनाव हुआ। इसमें भाजपा ने आशु वर्मा को प्रत्याशी बनाया और आशु वर्मा गाजियाबाद के महापौर चुने गए। वर्ष 2017 में महापौर सीट महिला के लिए आरक्षित हुई तो बीजेपी ने पूर्व पार्षद आशा शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा। उन्होंने ऐतिहासिक मतों से जीत हासिल की।
निवर्तमान महापौर आशा शर्मा मजबूत दावेदारी में सबसे आगे
गाजियाबाद के निवर्तमान महापौर आशा शर्मा एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी से मजबूत दावेदारी कर रही हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि आशा शर्मा ने अपने 5 साल के कार्यकाल में शहर को एक नई पहचान दिलाई है। स्वच्छता मिशन में भी गाज़ियाबाद आज उत्तर प्रदेश में पहले नंबर पर पहुंच चुका है। इसके अलावा और भी कई उपलब्धियां उनको हासिल हैं, इसलिए पार्टी हाईकमान आशा शर्मा के चयन पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
पिछले चुनाव की बात करें तो आशा शर्मा को यहां पर 163000 मतों से जीत हासिल हुई थी। आशा शर्मा को कुल 2,82,732 वोट मिले, वहीं कांग्रेस की डॉली शर्मा पिछले निकाय चुनाव में दूसरे स्थान पर रहीं। उन्हें कुल 1,19,091 वोट मिले थे।
गाजियाबाद नगर निगम में महिला आरक्षण के बाद महापौर के टिकट के दावेदारों की लिस्ट बीजेपी में सबसे लंबी है। लेकिन यहां सबसे मजबूत दावेदार निवर्तमान महापौर आशा शर्मा को ही माना जा रहा है। उनके कार्यकाल में स्वच्छता समेत कई अन्य रैंकिंग में भी गाजियाबाद अग्रणी रहा है। गाजियाबाद नगर निगम के अंतर्गत वेस्ट मैनेजमेंट से लेकर टैक्स कलेक्शन के मोर्चे पर आशा शर्मा के कार्यकाल में बेहतर काम हुआ है।
भाजपा में महिला दावेदारों की सबसे लंबी फेहरिस्त
अभी तक की स्थिति पर नजर डालें तो भारतीय जनता पार्टी में दावेदारों की सबसे ज्यादा सबसे लंबी फेहरिस्त है। जबकि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी समेत अन्य दलों में कोई मजबूत प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं दिख रहा है। हालांकि अभी यह कोहरा धीरे-धीरे छटेगा और यह पार्टियां भी मजबूत प्रत्याशी की तलाश में है। जहां तक भाजपा की बात है तो निवर्तमान आशा शर्मा के अलावा यहां पर भारतीय जनता पार्टी की उपाध्यक्ष सुनीता दयाल, वरिष्ठ समाजसेवी गुरी जन्मेजा, पुनिता त्यागी, डॉ शशि अरोड़ा का नाम चर्चाओं में हैं। चर्चा तो यह भी है कि किसी मजबूत महिला का नाम पहले फाइनल हो चुका है और उसी के मद्देनजर गाजियाबाद की सीट महिला के लिए आरक्षित की गई है। इनके सभी के अपने-अपने दावे दावे हैं अब देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी किस पर अपना दांव खेलती है।
पिछले निगम बोर्ड में किस पार्टी की कितनी हिस्सेदारी
कुल वार्ड –100
भाजपा –61
समाजवादी पार्टी –05
बहुजन समाज पार्टी –12
कांग्रेस –15
अन्य –07