मुज़फ्फरनगर। जिले में संचालित वन स्टॉप सेंटर की मैनेजर पर एक महिला ने नौकरी के नाम पर डेढ़ लाख रुपये की ठगी का आरोप लगाते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में जमकर हंगामा किया। आरोप लगाने वाली महिला ने दावा किया कि मैनेजर ने उसे सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर पैसे वसूले, लेकिन न तो नौकरी मिली और न ही पैसे लौटाए गए।
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आरोप लगाने वाली महिला दीपा रानी का कहना है कि वन स्टॉप सेंटर की मैनेजर पूजा नरूला पहले उसके मकान में किराएदार के रूप में रह रही थीं। इसी दौरान उन्होंने उसे सरकारी नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया और 1.5 लाख रुपये ले लिए। बाद में पूजा ने कथित रूप से फर्जी कागजात तैयार कर मकान पर कब्जा करने की कोशिश की। जब दीपा ने इसका विरोध किया तो पूजा ने उसे ब्लैंक चेक के जरिए ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।
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दीपा रानी ने गुरुवार को जिलाधिकारी कार्यालय के सामने स्थित महिला हेल्पलाइन कार्यालय में पहुंचकर हंगामा किया और पूजा नरूला के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। उसने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वह कलेक्ट्रेट परिसर में धरना प्रदर्शन शुरू करेगी।
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वहीं, वन स्टॉप सेंटर की मैनेजर पूजा नरूला ने दीपा के सभी आरोपों को झूठा और मनगढ़ंत बताया है। उन्होंने कहा कि दीपा रानी ने स्वयं उन्हें मकान बेचने की बात कही थी, जिसके एवज में वह 3 लाख रुपये नगद दे चुकी हैं और रसीद भी ले चुकी हैं। पूजा ने बताया कि अब जब उन्होंने पैसे वापस मांगे, तो दीपा रानी ने उन पर झूठे आरोप लगाने शुरू कर दिए।
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उन्होंने कहा कि “मैं नौकरी दिलवाने का काम नहीं करती। दीपा की शैक्षिक योग्यता किसी सरकारी नौकरी के योग्य नहीं है। यह पूरा विवाद सिर्फ मकान के लेन-देन को लेकर है, जो कोर्ट में विचाराधीन है। जब कोर्ट से अमीन जांच करने आया तो दीपा ने उससे भी अभद्रता की थी। इसके खिलाफ पहले से पांच मुकदमे चल रहे हैं।
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पूजा नरूला पर इससे पहले भी शोषण और भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। हाल ही में उसके खिलाफ जांच भी हुई थी। इस जांच में कर्मचारियों ने भी शोषण के आरोप लगाये थे। मुजफ्फरनगर के सांसद हरेन्द्र मलिक ने भी वन स्टॉप सेंटर में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा था। पीडित महिला जब शिकायत को लेकर जिला प्रोबेशन कार्यालय पहुंची, तो अधिकारियों ने बात करने से इंकार कर दिया। जिला प्रोबेशन अधिकारी मीडिया से बात करने से भी बचते नजर आये। मीडिया के सवालों से पहले ही वे कार्यालय छोडकर चले गये।