जहां पति-पत्नी दोनों कामकाजी होते हैं, उनके बीच रूपए-पैसे को लेकर अक्सर समस्याएं उत्पन्न होती रहती हैं। इस मामले में दोनों में मतभेद होता है तो इससे बच्चे भी प्रभावित होते हैं अत: समझदारी इसी में है कि वे दोनों योजना बनाकर चलें।
जब पति-पत्नी रूपए-पैसों के मामले में अपनी-अपनी बात पर अड़े रहते हैं, तभी उनके बीच समस्या पैदा होती है। जरूरी नहीं है कि आप जो सोच रहे हैं, वही सही है या जीवनसाथी की सोच सही है पर यह जरूरी है कि जीवनसाथी की बात को सुनें व देखें कि उसका दृष्टिकोण क्या है।
हो सकता है, उसका नजरिया आपसे या सबसे बिल्कुल ही अलग हो लेकिन आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि उसके विचार उसके लिए महत्त्वपूर्ण हैं। उसके विचारों का मजाक न उड़ाएं व न ही उन्हें व्यर्थ समझें। हां, आप उससे प्रश्न पूछ सकते हैं, साथ ही टिप्पणी भी दे सकते हैं। अगर आप उसके विचारों से सहमत नहीं हैं तो उससे सम्मानपूर्वक पेश आएं।
यह जरूरी नहीं कि आप पुरूष हैं तो आपमें आर्थिक मामलों की समझ जन्मजात है और अगर आप महिला हैं तो इसका यह मतलब कतई नहीं कि आप ही घरेलू हिसाब-किताब में दक्ष हैं और यह भी नहीं कि आप आर्थिक मामलों को समझने में समर्थ नहीं हैं। अपने जीवनसाथी से इस प्रकार का पक्षपातपूर्ण व्यवहार हरगिज न करें। आर्थिक मामलों के प्रति आप दोनों ही आपसी समझ को दृढ़ बनाने का प्रयास करें ताकि आपके बीच कभी भी इस विषय पर बहस न हो।
आमतौर पर पति-पत्नी के बीच आर्थिक मामलों को लेकर झगड़े होते हैं क्योंकि वे इससे संबंधित अपने मुख्य लक्ष्यों पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। उनकी आपसी राय एक नहीं होती और वे अपने-अपने उद्देश्यों को लेकर एक-दूसरे से उलझे रहते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि दोनों में से किसी का भी उद्देश्य पूरा नहीं होता।
आप यह देखें कि आप अपना पैसा किस खास कार्य में लगाना आवश्यक समझते हैं-घर खरीदने हेतु, बच्चों के भविष्य हेतु यानी उनकी पढ़ाई-लिखाई हेतु रखना चाहते हैं या फिर आपका अन्य कोई उद्देश्य है। आप जो भी सोचते हैं, उसके बारे में अपने जीवनसाथी से बातचीत करें।
जब आप दोनों का कोई लक्ष्य बन जाए तो आप उस पर कार्य करना शुरू कर दें। जैसे आप किसी पर्यटन स्थल पर घूमने जाना चाहते हैं और उसके लिए पैसे सुरक्षित रखना चाहते हैं तो हर महीने दोनों ही अपने बचत खाते में कुछ राशि जमा करवाते रहें। जब पर्याप्त पैसा जमा हो जाए और आप अपने उद्देश्य में सफल हो जाएंगे तो आप दोनों के संबंध और दृढ़ बनेंगे।
विशेषज्ञों की सलाह लें:- अगर आपको आर्थिक मामलों की जानकारी या समझ नहीं है तो परेशान न हों। आप अपने धन संबंधी किसी मामले को लेकर उलझन में हैं तो इसे सुलझाने हेतु किसी अर्थ विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं वरना यह काफी जटिल हो सकता है इसलिए किसी विशेषज्ञ से बात करें।
अगर आपके जीवनसाथी ने किसी का कजऱ् देना है तो इसका यह मतलब नहीं कि आप इसे लेकर उससे झगड़ा या बहस करने लगें। झगडऩे की बजाय इस मुद्दे पर गंभीरतापूर्वक विचार करें और दोनों मिलकर ऋणमुक्त होने हेतु कोई योजना सोचें। दोनों एकजुट होकर इससे उबरने हेतु कार्य करेंगे तो आप इस समस्या से जल्द ही छुटकारा पा सकेंगे।
– भाषणा गुप्ता