प्रयागराज। प्रयागराज में 12 साल बाद आयोजित महाकुंभ 2025 में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए जुटे हैं। इस आस्था के महासंगम में एक अप्रत्याशित घटना ने सभी का ध्यान खींचा। कुछ युवाओं ने महाकुंभ को अंधविश्वास करार देते हुए पोस्टर लगाए, जिससे नागा साधु भड़क उठे। इस विवाद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, और प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
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क्या है मामला?
महाकुंभ के दौरान कुछ युवाओं ने “अंधविश्वास का मेला है, कुंभ एक बहाना, मुक्ति चाहिए तो समझ जगाना है” जैसे स्लोगन वाले पोस्टर लगाकर कुंभ को अंधविश्वास का प्रतीक बताया। इन युवाओं ने लाउडस्पीकर के जरिए भी अपनी बात रखते हुए श्रद्धालुओं को जागरूक करने की अपील की।
इस घटना से नागा साधु भड़क गए। उन्होंने विरोध करने वाले युवाओं के स्टॉल पर हमला कर पोस्टर और बैनर फाड़ दिए। साधुओं का कहना था कि महाकुंभ श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, और इसे अंधविश्वास कहना असहनीय है।
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यह घटना तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। वीडियो में नागा साधु युवाओं के स्टॉल को तोड़ते हुए और पोस्टर हटाते हुए देखे जा सकते हैं। घटना के बाद महाकुंभ मेला प्रशासन और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला।
पुलिस ने वायरल वीडियो की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि वीडियो की सत्यता की जांच के बाद जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। कुंभ मेला प्रशासन ने भी युवाओं और नागा साधुओं दोनों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
महाकुंभ 2025 एक बार फिर आस्था का महापर्व बन चुका है। श्रद्धालु संगम में स्नान कर अपने जीवन को पुण्यवान बनाने के लिए दूर-दूर से आ रहे हैं। लेकिन इस बार यह धार्मिक आयोजन आस्था और अंधविश्वास के बीच बहस का केंद्र बन गया है।
जहां एक ओर लाखों लोग कुंभ को धर्म और परंपरा का प्रतीक मानते हैं, वहीं कुछ युवा इसे अंधविश्वास और कुप्रथा करार दे रहे हैं।
प्रयागराज का महाकुंभ एक ऐसा आयोजन है जहां आस्था, संस्कृति और आध्यात्म का संगम होता है। इस विवाद ने धार्मिक और वैचारिक टकराव को उजागर किया है। अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन इस मामले को कैसे संभालते हैं और इस विवाद का क्या निष्कर्ष निकलता है।