Friday, November 15, 2024

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 लोकसभा से पारित, ‘INDIA’ गठबंधन के नेताओं ने सदन से किया वॉकआउट

नयी दिल्ली। लोकसभा में गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया गया।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग करता रहा। सदन में हंगामा होता रहा, लेकिन आज इस विधेयक के लिए आप सब यहां आ गए। इसी विधेयक के लिए क्यों आए? बाकी नौ विधेयक के लिए क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि आपके लिए देश नहीं गठबंधन जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पास होने के बाद अरविंद केजरीवाल आपको टाटा-बाय बाय कर देंगे। विपक्षी दलों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि गठबंधन में और दो-तीन लोगों को शामिल कर लीजिए, लेकिन अगले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही बनने वाले हैं।

उन्होंने कहा कि गठबंधन टूटने वाला विधेयक जैसे ही सामने आया, विपक्षियों को मणिपुर, दंगा, लोकतंत्र इत्यादि याद नहीं आया। तमाम विपक्षी एकत्रित होकर सामने बैठे हैं और यह लोग 130 करोड़ लोगों को बताते हैं कि हमें मणिपुर, लोकतंत्र की चिंता नहीं है सिर्फ चुनाव की चिंता है।

गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग का कोई मामला नहीं है। यहाँ जो मामला है वह यह है कि इसके बहाने सतर्कता विभाग को अपने अधीन लेना है ताकि उनके भ्रष्टाचार को उजागर नहीं किया जा सके। उन्होंने कहा कि मैं विपक्षी पार्टियों से कहना चाहता हूं कि आप दिल्ली के बारे में सोचें अपने गठबंधन के बारे में नहीं क्योंकि नरेंद्र मोदी ही एक बार फिर प्रधानमंत्री बनकर आने वाले हैं जनता ने अपना मन पहले ही बना लिया है।

शाह ने कहा कि वह तो समझते थे कि केजरीवाल सरकार दिल्ली में पानी, साफ-सफाई और अन्य सेवाओं पर ध्यान केन्द्रित करेेगी और इन विषयों पर नियमों-कानूनों को मजबूत करने का काम करेेगी लेकिन उसने सतर्कता विभाग को निशाना बनाया ।

उन्होंने कहा कि सतर्कता विभाग को इसलिए निशाना बनाया गया, क्योंकि उसके पास आबकारी घोटाले की फाइल, मुख्यमंत्री के नये बने आवास को अवैध रूप से बनाये जाने से संबंधित फाइल, बीएसईएस से संबंधित फाइल, एक कंपनी पर 21 हजार करोड़ रुपये के बकाया होने के बावजूद उसे फिर फंड देने से संबंधित फाइल जांच के लिए पड़ी हैं।
शाह ने कहा कि विपक्ष को गठबंधन बचाने की मजबूरी है, इसलिए वह इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह गठबंधन विधेयक पारित होने के बाद नहीं बचने वाला है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के काम करने की कुछ झलक वह यहां प्रस्तुत करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार देश की एक ऐसी सरकार है, जिसके कार्यकाल में विधानसभा का सत्रावसान ही नहीं होता। जब राजनीतिक भाषण देना होता है तो विधानसभा का आधे दिन का सत्र बुला लिया जाता है और जिसे निशाना बनाना होता है, उसे बुरा-भला कह दिया जाता है। उन्होंने कहा कि 2021 से लेकर 2023 तक बीच अब तक हर साल केवल एक-एक सत्र बुलाये गये हैं और वह भी बजट के लिए। इसी तरह केजरीवाल सरकार ने वर्ष 2022 में कैबिनेट की मात्र छह बैठकें बुलायीं, वर्ष 2023 में केवल दो ही बैठकें बुलायीं। यह बैठकें भी मुख्यत: बजट को लेकर थीं।

श्री शाह ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने पिछले दाे वर्ष से विधानसभा में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की एक भी रिपोर्ट सदन के पटल पर नहीं रखी।

शाह ने पांच घंटे से अधिक चली चर्चा के अपने जवाब के अंतिम क्षणों में विपक्ष से इस विधेयक पर अपनी राय बदलने और इसका समर्थन करने की अपील करते हुए कहा,“यही समय और सही समय है। आप अपनी राय बदलिये, यह विधेयक पूर्णत: संविधान सम्मत है और दिल्ली की जनता के कल्याण के लिए है।”

शाह ने कहा कि चर्चा के दौरान कुछ राजनीतिक टिप्पणियां की गयी हैं। अत: वह उस पर भी कुछ बोल देते हैं। उन्होंने कहा, “ जनता दल (यू) के राजीव रंजन सिंह ने कहा है कि लोकतंत्र लोकलाज से चलता है। जिस चारा घोटाला के विरोध में आप जनता के समक्ष गये थे। आज उन्हीं लोगों के साथ आप बिहार में सरकार चला रहे हैं। बेंगलुरु में साथ बैठते हैं। कम्युनिस्ट और कांग्रेस केरल में एक-दूसरे के विरोधी हैं, लेकिन गठबंधन में साथ-साथ हैं।

गृह मंत्री ने कहा कि ये दल गठबंधन बचाने के लिए एकजुट हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष को मणिपुर की या देश के किसानाें और अन्य हितों की चर्चा होती तो वे इसी सत्र में पारित नौ विधेयकों की चर्चा में जरूर भाग लेते क्योंकि वे विधेयक भी महत्वपूर्ण थे। विपक्ष को केवल अपना गठबंधन टूटने का डर था और वे इस विधेयक पर चर्चा में केवल अपना गठबंधन बचाने के लिए आये हैं। पर वह बचने वाला नहीं।”

उन्होंने कहा कि सदन में चर्चा जनता को भ्रमित करने के लिए नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “ सदन के अंदर बोलिये जनता के भले के लिए बोलिए।”

गृह मंत्री के भाषण के बाद कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन ने स्पष्टीकरण मांगने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली अध्यादेश को पुन: गैर संवैधानिक और संघीय व्यवस्था के खिलाफ बताया। अध्यादेश को अस्वीकृत करने के चौधरी और अन्य विपक्षी सदस्यों द्वारा लाये गये सांविधिक प्रस्ताव को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया और उसके स्थान पर रखे गये विधेयक को पारित करने के शाह के प्रस्ताव से ध्वनिमत से स्वीकृति प्रदान कर दी गयी।

इसी दौरान सदन के बीचोबीच आकर विधेयक की प्रति फाड़कर फेंकने पर आम आदमी पार्टी के सदस्य सुशील कुमार रिंकू को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के प्रस्ताव पर इस सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय