राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस प्रत्येक वर्ष 10 फरवरी को मनाया जाता है। यह उत्सव भारत में कृमि जैसी सामाजिक समस्याओं पर ध्यान देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। कृमि के खिलाफ लड़ाई एक व्यक्ति, समाज, और राष्ट्र के लिए अत्यंत आवश्यक है। कृमि जैसी बीमारियों के कारण हमारे समाज में अनेक समस्याएं होती हैं। ये समस्याएं शिक्षा, आर्थिक विकास, और सामाजिक समृद्धि को अटका सकती हैं। इसलिए कृमि मुक्ति दिवस हमें इन समस्याओं के समाधान के लिए समर्थ बनाता है।
इस अवसर पर लोग जागरूकता बढ़ाते हैं और विभिन्न कृमि संबंधित बीमारियों के बारे में शिक्षा प्राप्त करते हैं। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा विशेष शिविरों और कैंपेनों का आयोजन किया जाता है जिसमें लोगों को सही जानकारी और उपायों की पहुंच सुनिश्चित की जाती है। कृमि मुक्ति दिवस के माध्यम से हम समझते हैं कि एक स्वस्थ और खुशहाल समाज के लिए कृमि से लडऩा आवश्यक है। इसके साथ ही, लोगों को स्वच्छता, स्वास्थ्य, और हाथ-हाथ मिलाकर समाज की रक्षा करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
बच्चों के पेट में होने वाले कृमि संक्रमण को रोकने के लिए सरकारों द्वारा समय-समय पर कृमि मुक्ति दिवस अभियान चलाया जाता है। इस दौरान बच्चों को कीड़ों के असर को खत्म करने की दवा खिलायी जा जाती है। पेट में कृमि संक्रमण को रोकने के लिए बच्चों और किशोर किशोरियों में सावधानी जरूरी है। साथ ही उन्हें सालभर में 6-6 माह पर 2 बार पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाना जरूरी है। इस अभियान के अन्तर्गत 1 वर्ष से 19 वर्ष के बच्चों को कृमि नाशक दवा का सेवन कराया जाता है।
इस प्रकार, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस हमें सामाजिक सचेतता और संजीवनी बढ़ाने का मौका देता है। इस दिन को मनाकर हम समूचे समाज को स्वस्थ और मजबूत बनाने का संकल्प लेते हैं। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस, भारत में कृमि और उसके खिलाफ लड़ाई को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिवस है। इस दिन को एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश के रूप में देखा जाता है। कृमि मुक्ति दिवस का मुख्य उद्देश्य जनता को कृमि से जुड़ी समस्याओं के बारे में जागरूक करना है। यह एक मौका है कि हम समाज को कृमि और उसके कारणों के विषय में शिक्षित करें और लोगों को इससे बचने के उपायों के बारे में सूचित करें।
कृमि के खिलाफ लड़ाई में जनता, सरकार और समाज की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सामाजिक जागरूकता, स्वच्छता के महत्व को समझना, नियमित स्वच्छता, और अनुशासन से ही कृमि से बचा जा सकता है। सरकारों को नीतियों और कानूनों के माध्यम से कृमि के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की जरूरत है। सही मायने में इस दिन को मनाकर, हम एक सकारात्मक परिवर्तन की ओर कदम बढ़ाते हैं और एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य की दिशा में प्रगति करते हैं। यह दिवस भारत में कृमि या कीटाणुओं से लड़ाई में जनता को संजीवनी देने और सामाजिक जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। कृमि संक्रमण संबंधित बीमारियों के कारक बन सकते हैं, जैसे कि मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, कालाजार आदि। ये बीमारियाँ सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकती हैं, खासकर गरीब और असहाय लोगों को। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर सरकार, गैर-सरकारी संगठन, स्कूल, कॉलेज, और समुदायों में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को कृमि संक्रमण से बचाव और उसका इलाज करने के तरीकों के बारे में शिक्षा दी जाती है। इस दिवस का उद्देश्य लोगों को जागरूक बनाना है कि कृमि संक्रमण कैसे फैलता है और इससे कैसे बचा जा सकता है। जनता को साफ पानी पीने, सही भोजन खाने, हाथों को साबुन से धोने, वैक्सीनेशन, और स्वच्छता की महत्वपूर्णता के बारे में जागरूक किया जाता है।
इस दिवस के माध्यम से हमें यह संदेश मिलता है कि हमें अपने आसपास की स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है और साथ ही जब भी जरुरत हो, हमें किसी भी कृमि संक्रमण के खिलाफ साझा जवाबदेही से लडऩे को तैयार रहना चाहिए। इस राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर, हम सभी को अपने व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर कृमि संक्रमण से लडऩे का संकल्प लेना चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण कदम है स्वस्थ समाज की दिशा में और हमारे राष्ट्र को स्वस्थ, समृद्ध और सुरक्षित बनाने की दिशा में।
-डा. वीरेन्द्र भाटी मंगल