मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को मुंबई के पुलिस आयुक्त विवेक फनसालकर से मुलाकात की और महान समाज सुधारक तथा भारत की अग्रणी महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले पर ‘अपमानजनक’ लेख प्रकाशित करने वाली दो वेबसाइटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। राज्य राकांपा अध्यक्ष जयंत पाटिल, विपक्ष के नेता अजीत पवार, वरिष्ठ नेता छगन भुजबल, सांसद सुनील तटकरे और अन्य लोगों के प्रतिनिधिमंडल ने फंसालकर को दो पन्नों का एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें वेबसाइटों के नाम और उनकी आपत्तिजनक टिप्पणियों को सूचीबद्ध किया गया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि ‘भारद्वाज’ होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति ने सावित्रीबाई (1831-1897) के खिलाफ – जिन्हें 1850 के मध्य से महिला शिक्षा की अग्रणी माना जाता है – आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जो राज्य और देश में पूजनीय हैं।
नाराज पवार ने कहा, टिप्पणियां इतनी भद्दी हैं कि मैं उनका उल्लेख नहीं कर सकता और इसके बारे में बात करने में भी शमिर्ंदगी महसूस होती है। हमने पुलिस से अनुरोध किया है कि दोनों वेबसाइटों, लेखकों पर तुरंत मामले दर्ज किए जाएं और सभी मीडिया प्लेटफॉर्म से लेख को हटा दिया जाए।
इससे पहले, भुजबल ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और फनसालकर को एक पत्र लिखा था, जिसमें जनवरी 2022 के लेखों में सावित्रीबाई के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें एक शिक्षक के रूप में उनकी साख पर सवाल उठाया गया था।
भुजबल ने बताया कि एनसीपी ने कार्रवाई की मांग की और सरकार और पुलिस को पर्याप्त समय दिया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास को पुनर्व्यवस्थित करने और नष्ट करने की कोशिश करने वाली वेबसाइटों के जरिए महान शिक्षक को बदनाम करने का प्रयास अत्यधिक निंदनीय, अपमानजनक और दर्दनाक था।
लेखों ने सोशल मीडिया पर एक उग्र बहस छेड़ दी है, जिसमें कई लेखकों ने प्रतिष्ठित समाज सुधारक के खिलाफ अपमानजनक संदर्भों और अपमानजनक आक्षेपों के लिए लेखकों की आलोचना की है, और एक अकादमिक ट्रेल-ब्लेजर के रूप में उनके ऐतिहासिक योगदान पर सवाल उठाया है।