सहारनपुर। भारतीय किसान यूनियन वर्मा व पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा ने ग्राम झबीरण में किसानों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा की योगी सरकार और मोदी सरकार देश के अन्नदाता किसानों की लगातार उपेक्षा कर रही है जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। देश के अन्नदाता किसानों ने मेहनत करके खाद्यान्न के भंडार भरकर देश को आत्मनिर्भर बनाया है। इसके बावजूद भी देश के अन्नदाता किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य तो दूर लागत मूल्य भी सरकार नहीं दिला पा रही है जिसके कारण देश के अन्नदाता किसान कृषि प्रधान देश में कर्ज बंद होकर आत्महत्या कर रहे हैं।
जिसके लिए दिल्ली में बैठे हुए नेताओं को शर्म आनी चाहिए। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि गन्ना सभी प्रदेशों व देश की आर्थिक रीढ़ है। गन्ने से अल्कोहल और अल्कोहल से हजारों उत्पाद तैयार होते हैं जिसे प्रदेश और केंद्र सरकार को प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रुपये एक्साइज ड्यूटी व जीएसटी के रूप में प्राप्त होते हैं। इसके बावजूद भी गन्ना किसानों को उनके गन्ने का लाभकारी मूल्य ₹700 कुंतल सरकार नहीं दिला पा रही है। भगत सिंह वर्मा ने बताया कि एक कुंतल गन्ने से 12 किलोग्राम से अधिक चीनी बन रही है, 5 किलोग्राम शीरा बन रहा है, 30 किलोग्राम खोई बन रही है, 4:30 किलोग्राम मैली प्रेसमड बन रही है।
अकेले 5 किलोग्राम सिरे से एक बल्क लीटर अल्कोहल बनता है। जब यह देसी शराब में प्रयोग होता है तो सीधा सरकार के खाते में ₹700 एक्साइज ड्यूटी के रूप में जमा हो जाता है और अंग्रेजी शराब पर तो 1000 रूपए से ऊपर सरकार के खाते में जाता है। और ₹500 से अधिक चीनी बनती है और ₹100 की खोई बन जाती है। इस सबके बावजूद भी गन्ना किसानों को उनके गन्ने का लाभकारी मूल्य तो दूर लागत मूल्य भी सरकार नहीं दिला पा रही है। एक कुंतल गन्ने की उत्पादन लागत 550 रुपए कुंतल है। डॉ एम एस स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट C2 प्लस 50% के अनुसार गन्ने का लाभकारी मूल्य 825 रुपए कुंतल होना चाहिए।
भगत सिंह वर्मा ने भाजपा की केंद्र सरकार और प्रदेश की योगी सरकार से गन्ने का लाभकारी मूल्य ₹700 कुंतल तत्काल घोषित करने, चीनी मिलों से बकाया गन्ना भुगतान व ब्याज तुरंत दिलाने चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों से धुलाई किराया न काटने, प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए कमाने वाली चीनी मिल को गन्ना एक्ट के अनुसार क्षेत्र के विकास में धन खर्च करने चीनी मिल को अपने क्षेत्र में स्कूल स्थापित करके गन्ना किसानों के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दिलाने, किसानों को नि:शुल्क चिकित्सा दिलाने, मनरेगा योजना को सीधा खेती से जोड़कर किसानों को मजदूर उपलब्ध कराने की मांग की गई। बैठक का संचालन करते हुए भारतीय किसान यूनियन वर्मा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर अशोक मलिक ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का बड़ा राज्य है इसलिए इसको चार भागों में बांटकर पृथक पश्चिम प्रदेश का निर्माण किया जाए जिससे गन्ना किसानों की समस्याएं तुरंत हल हो सके। डॉ अशोक मलिक ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा के नेतृत्व में गन्ना किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए एक बड़े आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है इस बार गन्ना किसान चुप बैठने वाले नहीं है।
बैठक को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन वर्मा के प्रदेश महामंत्री आसिम मलिक ने कहा कि प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा से वार्ता करके प्रदेश और देश के गन्ना किसानों को गन्ने का लाभकारी मूल्य ₹700 कुंतल दिलाना चाहिए। असीम मलिक ने कहा कि वर्ष 1967 में जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह होते थे उसे समय गन्ने का मूल्य ₹12 रूपए 10 पैसे कुंतल था। उस समय प्राइमरी स्कूल के अध्यापक की नौकरी ₹70 प्रतिमा थी। इस हिसाब से गन्ने का मूल्य 12 हजार₹100 कुंतल होना चाहिए। बैठक की अध्यक्षता अरविंद मुखिया ने की। बैठक में चौधरी धीर सिंह, बाबू अशोक चौधरी, अरविंद चौधरी, राजेंद्र चौधरी, मुनेश चौधरी, अनुज कुमार, मोहम्मद अकमल वली उल्लाह, हरपाल सिंह, जोगिंद्र सिंह, कालू सिंह, सुधीर चौधरी, पिंटू चौधरी आदि ने भाग लिया।