Saturday, November 2, 2024

नेहरू का भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में कोई योगदान नहीं था – अमित मालवीय

नई दिल्ली। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियों को लेकर कांग्रेस और भाजपा में श्रेय लेने की मची होड़ के बीच भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने एक बार फिर से कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जवाहर लाल नेहरू का भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में कोई योगदान नहीं था बल्कि उन्होंने तो इसके लिए फंड तक नहीं दिया था।

अमित मालवीय ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, “नेहरू का भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में कोई योगदान नहीं था, जिसमें इसरो की स्थापना भी शामिल थी, जिसे 1964 में नेहरू की मृत्यु के पांच साल बाद 1969 में स्थापित किया गया था।

1962 में स्थापित द इंडियन नेशनल कमेटी फ़ॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना में भी उनकी कोई भूमिका नहीं थी। वास्तव में नेहरू में साइंटिफिक टेम्पर की इतनी ज्यादा कमी थी कि भारत द्वारा फरवरी 1962 में गठित द इंडियन नेशनल कमेटी फ़ॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना से कुछ महीने पहले 1961 के अंत में ही पाकिस्तान ने द स्पेस एंड अपर एटमॉसफेयर रिसर्च कमीशन की स्थापना कर ली थी।”

अमित मालवीय ने इसरो और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए नेहरू को श्रेय देने को भी मिथक और झूठी कहानी बताते हुए आगे कहा, “डॉ. विक्रम साराभाई ने स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम बनाने के लिए 1962 में द इंडियन नेशनल कमेटी फ़ॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना की। उस समय यह समिति टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) का एक हिस्सा थी, जिसे डॉ. होमी जे भाभा के आग्रह पर स्थापित किया गया था, जिन्होंने टाटा ट्रस्ट को पत्र लिखकर वित्तीय सहायता मांगी थी।

जेआरडी टाटा ने उस समय डॉ. होमी जे भाभा के विचार का समर्थन किया था और नेहरू द्वारा भारत के लिए कोई भी निर्णय लेने से पहले ही 1 जून 1945 को टीआईएफआर की स्थापना की गई थी।

इसे प्रारंभ में भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर के परिसर में स्थापित किया गया था, जिसका मूल 1893 में अमेरिका के लिए रवाना हुए एक जहाज पर स्वामी विवेकानन्द और जमशेदजी टाटा के बीच हुई बातचीत से मिलता है।

स्वामी विवेकानन्द ने मौलिक विज्ञान अनुसंधान शुरू करने का सुझाव दिया था और जमशेदजी ने उनका अनुसरण किया।”

भाजपा आईटी सेल के हेड मालवीय ने जवाहर लाल नेहरु पर होमी जे भाभा को फंड देने से इनकार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 1969 में डॉ. विक्रम साराभाई ने इसरो की स्थापना की थी जबकि 1964 में नेहरू का निधन हो गया था। इसलिए, वास्तव में उनका भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं था।

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