Friday, April 26, 2024

अनमोल वचन

मुज़फ्फर नगर लोकसभा सीट से आप किसे सांसद चुनना चाहते हैं |

सुख साधनों के रूप में प्राप्त भौतिक पदार्थों से शरीर, मन तथा बुद्धि को तृप्ति मिलती है, परन्तु आनन्द से आत्मा को शान्ति और तृप्ति प्राप्त होती है। सुख का तात्पर्य शारीरिक तथा मानसिक सुखों की अनुभूति से है, परन्तु आनन्द का सम्बन्ध केवल मात्र आत्मा से है अर्थात सुख की प्राप्ति शरीर और मन को होती है और आनन्द प्राप्ति आत्मा को होती है। सुख और आनन्द में बहुत बड़ा अंतर है। इस अंतर को समझना होगा। सुख तो सांसारिक पदार्थों से मिल सकते हैं, परन्तु आनन्द की प्राप्ति तो आत्म दर्शन से ही सम्भव है अर्थात आत्म साक्षात्कार होने के पश्चात ही आनन्द प्राप्त हो पायेगा। भौतिक पदार्थों शरीर को तो सुख दे सकते हैं, परन्तु आत्मा को संतुष्ट करने में वे असमर्थ है। सच्चा सुख तब मिलेगा, जब मन और आत्मा दोनों संतुष्ट हो। इन दोनों को संतुष्ट रखने का खजाना तो हमारे भीतर ही विद्यमान है। यदि आनन्द की चाह है, प्रकाश पाने की उत्कंठा है उसे अपने भीतर के जीवन तल में खोजो। भीतर से ही उसकी प्राप्ति होगी। बाहर भटकने से कुछ मिलने वाला नहीं है, जो भीतर नहीं खोजता वह खोजता ही रह जाता है, पाता कुछ नहीं।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,237FansLike
5,309FollowersFollow
47,101SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय