जानसठ। तहसील में प्रशासन की लापरवाही के चलते फरियादियों को चक्कर काटने पड़ रहे हैं। तहसील में कोई अधिकारी समय पर नहीं आ रहा, तहसील में लगभग सभी कार्यालयों में केवल खाली कुर्सी ही दिखाई देती है।
सरकारी कार्यालयों को केवल बाबू और चपरासी ही चला रहे हैं। भ्रष्टाचार की सीमाएं पार हो रही हैं। अधिकारी मोटी रकम वसूलने में लगे हुए हैं। तहसील क्षेत्र के हजारों बीघा भूमि का अवैध रूप से खनन कराया जा चुका है, खनन विभाग को चूना लगाया जा रहा है। अधिकारी के भ्रष्टाचार के चलते कुछ समय पहले भी वकीलों ने बहिष्कार किया था।
जानबूझकर छोड़े जा रहे हैं खतौनी में किसानों के नाम:
जानसठ तहसील में खतौनी का संशोधन किया जा रहा है, जिसमें रियल टाइम खतौनी बन रही है। खतौनी कार्यालय में ऑपरेटर खतौनी बनाते समय किसानों के नाम जानबूझकर छोड़ रहे हैं, अन्यथा नाम गलत कर रहे हैं, जिससे किसानोंं को
भारी परेशानी हो रही है और भोले-भाले किसान मोटी रकम देकर नाम दुरुस्त करा रहे हैं। इस समय सबसे अधिक मामले किसानों के नाम दुरुस्ती के लंबित पड़े हुए हैं, जिस का नाजायज फायदा उठा कर अधिकारी किसानों का शोषण कर रहे हैं।
कार्यालयो में एसडीएम व तहसीलदार नदारद: जानसठ तहसील में एसडीएम और तहसीलदार के कार्यालय या तो बंद मिलते हैं या कुर्सी खाली मिलती है, जिस कारण फरियादियों को सारा-सारा दिन इंतजार करके अपने घर वापस खाली हाथ मायूस होकर लौटना पड़ता है।
जिस कारण कभी-कभी किसानों की जमीनों का वाद-विवाद का निस्तारण न होने के कारण वह मामला खूनी रंजिश में बदल जाता है, जिसका खामियाजा किसानों को स्वयं ही भुगतना पड़ता है। एसडीएम और तहसीलदार कार्यालयों से नदारद मिलते हैं।