सहारनपुर। दलितों के नए हीरो और हाल ही में नगीना से निर्दलीय लोकसभा सदस्य चुने गए चंद्रशेखर आजाद अपने गृह जनपद सहारनपुर में बहुजन समाज से मिली जबरदस्त हौंसला अफजाई से अभिभूत है।
उन्होंने जगह-जगह अपने स्वागत में आयोजित कार्यक्रमों में पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा कि बहुजन समाज किसी के पीछे नहीं चलेगा वह भेंड नहीं है जो किसी के पीछे चले। इसकी कयादत नगीना के प्रबुद्ध मतदाताओं ने उसे सौंपी है। वह अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझते है और संसद में उनकी आवाज बनेंगे। भीम आर्मी और उसके बाद आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष सहारनपुर के छोटे से कस्बे छुटमलपुर के निवासी चंद्रशेखर ने हाथरस मेें दो जौलाई को एक धार्मिक आयोजन में हुई भगदड में जान गंवाने वाले 121 लोगो के परिजनों को सांत्वना दी। उन्होंने इस घटना के लिए प्रशासन की नाकामी को दोषी बताया है।
चंद्रशेखर अकेले ऐसे नेता है जिन्होंने स्पष्ट रूप से सरकार से मांग की है कि इस घटना के दोषी बाबा समेत किसी भी जिम्मेदार को न बख्शा जाए और घटना की सीबीआई जांच कराई जाए। उन्होंने मुआवजा राशि बढाने की भी मांग की। संसद में अपनी भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने बडी बात कही। बोले वह न सत्तापक्ष के साथ रहेंगे और न ही विपक्ष के साथ। उनकी भूमिका शुद्ध रूप से एक निर्दलीय सांसद की रहेगी। चंद्रशेखर को इस बात का गहरा मलाल है कि नगीना सीट पर चुनाव में उन्हें सपा, कांग्रेस और बसपा समेत किसी भी विपक्षी दल का समर्थन नहीं मिला।
बहुजन समाज ने दिल से उनका भरपूर साथ देकर लोकसभा में चुनकर भेजा। वह वहां बहुजन समाज के हितों के लिए हमेशा अपनी आवाज बुलंद करेंगे। चंद्रशेखर मौजूदा समय में भारत के अकेले दलित नेता है जिनको अमेरिका की प्रसिद्ध पत्रिका टाइम ने सौ उभरते नेताओं की सूचि में शामिल किया था। उन्होंने उसे सही साबित कर दिखाया है। उत्तर प्रदेश में पिछले तीन दशकों तक बसपा और उसकी नेता मायावती का उभार देखा जो रिकार्ड चार बार देश के एक सबसे बडे सूबे की मुख्यमंत्री रही।
जिनका इस बार लोकसभा में खाता भी नहीं खुला और 2022 के विधान सभा चुनाव में बसपा एक सीट पर सिमट गई थी। वही उत्तर प्रदेश में ही नहीं पूरे भारत चंद्रशेखर की उभरती शख्सियत और सफलता की गर्माहट शिद्दत के साथ महसूस की जा रही है। चंद्रशेखर को इसका बखूबी अहसास है और वह अपने समाज को भरोसा देते है कि महापुरूषों के अधूरे कामों को पूरा करेंगे।