Monday, December 23, 2024

रॉयल्टी कोई कर नहीं, खदानों पर कर लगाना राज्यों का अधिकार- सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने करीब 35 साल पुराना अपना एक फैसला पलटते हुए गुरुवार को कहा कि रॉयल्टी कोई कर नहीं है तथा राज्यों के पास खनिजों और खदानों पर कर लगाने का अधिकार है।

शीर्ष अदालत की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने केंद्र और विभिन्न खनन कंपनियों की आपत्तियों को खारिज करते हुए आठ-एक के बहुमत वाले फैसले से 1989 के सात सदस्यीय पीठ के फैसले (इंडिया सीमेंट लिमिटेड बनाम तमिलनाडु सरकार) को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि राज्यों के पास कर लगाने का कोई अधिकार नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की संविधान पीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया‌। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने हालांकि, बहुमत के फैसले से असहमति जताई।

संविधान पीठ ने कहा कि खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (खान अधिनियम) राज्यों को खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति से वंचित नहीं करेगा। शीर्ष अदालत के बहुमत वाले इस फैसले में कहा गया है कि रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं तथा विधानसभाओं के पास खनिजों वाली जमीन पर कर लगाने की विधायी शक्ति प्राप्त है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बहुमत के फैसले में कहा कि संसद के पास खनिज अधिकारों के तहत कर लगाने की शक्ति नहीं, लेकिन वह (राज्य द्वारा) कर लगाने की सीमा निर्धारित कर सकती है।

खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकरण और अन्य ने सात सदस्यीय पीठ के फैसले को चुनौती दी थी। ओडिशा और झारखंड आदि ने दलील दी थी कि संविधान के अनुसार कर लगाने का अधिकार सिर्फ राज्यों के पास है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय