नोएडा। नोएडा में होम बायर्स को उनका हक नहीं मिल रहा है। फ्लैट खरीदारों की सहूलियत के लिए शासनादेश जारी होने के डेढ़ महीने बाद भी सिर्फ पांच बिल्डरों ने पैसे जमा किए हैं। अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों में 57 में से केवल 17 बिल्डरों ने ही पैकेज साइन करने पर सहमति दी है। सहमति देने वाले सभी बिल्डरों पर बकाया खासा कम है।
वहीं बड़े बकायेदार बिल्डरों ने अभी सहमति नहीं दी है। ऐसे में नोएडा प्राधिकरण सीईओ डॉ.लोकेश एम. ने बाकी बचे बिल्डरों को सहमति देने या अपना रूख बताने के लिए एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है।
नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने बताया कि बाकी बिल्डरों को अथॉरिटी ने नई योजना के तहत सात दिनों का वक्त देने का फैसला किया है। बिल्डरों को साफ-साफ बताना होगा कि वह पैकेज साइन करेंगे या नहीं। वह अपनी परेशानी भी बता सकते हैं। लेकिन समिति की सिफारिशों को मानने और प्राधिकरण के साथ पैकेज साइन करने पर सकारात्मक जवाब देना होगा। ऐसा नहीं हुआ तो नोएडा अथॉरिटी ऐसे बिल्डरों पर कार्रवाई करेगा। इसमें सीलिंग, आवंटन निरस्त करने जैसी कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि शहर में ऐसी 57 परियोजनाए हैं, जिनका किसी न्यायालय में विवाद नहीं चल रहा है। ऐसे में प्राधिकरण पहले चरण में इन्हीं परियोजनाओं में फ्लैट खरीदारों को कब्जा दिलाना और रजिस्ट्री कराना चाहता है। इनके साथ कई दौर की बात प्राधिकरण अधिकारियों के साथ बातचीत हुई। इसके बाद मुश्किल से 5 परियोजना के बिल्डरों ने पैस जमा किए हैं। इन परियोजना में करीब 650 फ्लैट हैं, जिनकी रजिस्ट्री होनी हैं। इनके अलावा चार परियोजना के बिल्डरों ने भी लिखित सहमति दे दी है कि वह जल्द ही कुल बकाए में से 25 प्रतिशत धनराशि जमा कर देंगे।
नोएडा समेत पूरे दिल्ली-नसीआर और देशभर में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में एक समिति का गठन 31 मार्च 2023 को किया गया था। समिति में उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के टॉप ब्यूरोक्रेट्स शामिल थे। इस कमेटी को दिल्ली-एनसीआर में अटके प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का रास्ता बताने का जिम्मा दिया गया था। इस कमेटी ने बिल्डर्स से लेकर बायर्स तक की समस्याओं और हर पहलुओं का बारीकी से अध्ययन किया। इसके बाद 24 जुलाई 2023 को अपनी रिपोर्ट सबमिट की। सरकार ने उस रिपोर्ट को गौतमबुद्ध नगर के तीनों विकास प्राधिकरणों को भेजा था। अधिकारियों के मुताबिक, सरकार ने समिति की करीब आधी सिफारिशों को कुछ बदलाव के साथ लागू करने का निर्णय लिया है।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी क्षेत्र में आने वाले दर्जनों बिल्डर्स के तमाम प्रोजेक्ट सालों से अटके पड़े हैं। किसी के पास फंड की कमी है तो किसी का प्राधिकरण पर बकाया है।इसके अलावा कई बिल्डर आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे हैं। कुछ प्रोजेक्ट कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसे हैं।