नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के खिलाफ असम और उत्तर प्रदेश में दर्ज एफआईआर निरस्त करने की मांग वाली याचिका पर यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश जारी किया।
पवन खेड़ा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें हाई कोर्ट ने एफआईआर निरस्त करने से इनकार कर दिया था। सुनवाई के दौरान पवन खेड़ा की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पवन खेड़ा ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस के तुरंत बाद अपने ट्विटर अकाउंट से ये स्पष्ट किया था कि उन्होंने जानबूझकर कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की थी। पवन खेड़ा की मंशा किसी भी तरह से प्रधानमंत्री या देश की गरिमा को नीचा दिखाने की नहीं थी।
गौरतलब है कि 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा के खिलाफ असम और उत्तर प्रदेश में दर्ज एफआईआर को लखनऊ के हजरतगंज थाने में ट्रांसफर कर दिया था।
इस मामले में असम सरकार ने कहा था कि पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री के नाम के साथ दामोदरदास की जगह गौतमदास जानबूझकर लगाया। असम सरकार ने कहा था कि पवन खेड़ा के माफी मांगने के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल और सोशल मीडिया पोस्ट में गौतमदास का ही जिक्र किया। असम सरकार ने कहा था कि इस मामले में पवन खेड़ा से पूछताछ की जरूरत है ताकि इसके पीछे कौन लोग हैं, इसका पता लगाया जा सके। इससे देश में अशांति पैदा होने का खतरा है।
उल्लेखनीय है कि असम पुलिस ने 23 फरवरी को पवन खेड़ा को गिरफ्तार कर लिया था। उसके बाद 23 फरवरी को ही सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत देते हुए दिल्ली के द्वारका कोर्ट से कहा था कि खेडा को अंतरिम जमानत दे। उसके बाद द्वारका कोर्ट ने 30 हजार रुपये के मुचलके पर पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।