नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक नई पहल करते हुए समय की मांग के अनुरूप पेटेंट पर एक सर्टिफिकेट कोर्स “सर्टिफिकेट कोर्स ऑन पेटेंट” की शुरुआत की है। कोर्स का शुभारंभ विश्वविद्यालय के वाइस रीगल लॉज के अकादमिक परिषद हॉल में बुधवार को किया गया।
दिल्ली विश्वविद्यालय की अनुसंधान परिषद (रिसर्च काउंसिल) द्वारा पेटेंट पर शुरू किया गया यह सर्टिफिकेट कोर्स 3 महीने का होगा। हाइब्रिड मोड में करवाए जाने वाले इस कोर्स को 48 घंटे ऑनलाइन और 12 घंटे ऑफलाइन रखा गया है। शनिवार व रविवार को दो-दो घंटे की कक्षाएं लगेंगी। कोर्स में प्रति बैच 300 विद्यार्थी लिए जाएंगे और प्रति वर्ष कोर्स के कई बैच चलेंगे।
कोर्स के लिए आवश्यक न्यूनतम योग्यता किसी भी विषय में स्नातक या 12वीं पास है। अगर आवेदक केवल 12वीं पास तो उसे नवाचार, आविष्कार, स्टार्टअप में प्रमाणित रुचि के दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। इस कोर्स की घोषणा 17 मई से हो गई है। कोर्स के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 10 जून तक है। कोर्स की शुरुआत एक जुलाई से होगी और इसके पहले बैच का समापन इस साल 30 सितंबर को होगा।
इस अवसर पर डीन ऑफ कॉलेजज प्रो. बलराम पाणी ने मुख्यातिथि के तौर पर कहा कि पेटेंट के क्षेत्र में भी कैरियर की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कोर्स डिजाइन करने एवं इसे लॉंच करने के लिए रिसर्च काउंसिल को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के कोर्स विद्यार्थियों एवं विश्वविद्यालय के लिए बहुत जरूरी हैं।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर टीआईएफ़सीए के कार्यकारी निदेशक प्रो. प्रदीप श्रीवास्तव ने पेटेंट को लेकर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान समय में बौद्धिक संपदा के अधिकारों के प्रति जागरूकता की बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें पेटेंट से जुड़े सभी उपकरणों के बारे में ज्ञान होना चाहिए। ऐसे कोर्स इस दिशा में बहुत ही सार्थक कदम हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय, रिसर्च काउंसिल की चेयरपर्सन प्रो. दमन सलूजा ने कोर्स के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस कोर्स का उद्देश्य विद्यार्थियों को बौद्धिक संपदा, विशेष रूप से पेटेंट के निर्माण, संरक्षण, व्यवसायीकरण और मूल्यांकन की आवश्यकता से परिचित कराना है। इस कोर्स का उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एडवांस्ड रोबोटिक्स, जैव प्रौद्योगिकी, नैनो-प्रौद्योगिकी, सीआरआई (कंप्यूटर से संबंधित आविष्कार) और दूरसंचार जैसी बढ़ती प्रौद्योगिकियों में उभरती हुई पेटेंट प्रवृत्तियों और इसके साथ कानून बनाने वालों तथा अन्य हितधारकों के लिए आने वाली असंख्य कानूनी और व्यावहारिक चुनौतियों के लिए पेटेंट मुद्दों की व्याख्या करना भी है।