महाकाल की नगरी उज्जैन में इन दिनों महाकवि कालिदास के नाम पर आयोजित अखिल भारतीय कालिदास समारोह का धूमधाम से आयोजन किया जा रहा है। पांच दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम का शुभारंभ उपराष्ट्रपति जयदीप धनखड़ ने अपने शानदार भाषण से किया। सरकार ने अब उज्जैन को वैश्विक आध्यात्मिक नगर (ग्लोबल स्पिरिचुअल सिटी) बनाने की तैयारियां भी प्रारंभ कर दी हैं।
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इस योजना के अंतर्गत मोक्षदायिनी शिप्रा नदी से सटी 3062 हेक्टेयर जमीन पर सड़क, पानी, बिजली, सीवरेज का स्थायी काम कराकर आश्रम, स्कूल-कॉलेज और धर्मशाला बनाने के लिए भूखंड आवंटित किए जाएंगे। इससे साधु-संत और श्रद्धालुओं को होटलों के महंगे किराये से मुक्ति मिलेगी और पर्यटन के साथ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
उज्जैन में सर्वाधिक भीड़भाड़ बारह वर्षों में एक बार आयोजित होने वाले कुंभ (जिसे उज्जैन के लिए सिंहस्थ कहा जाता है) में हुआ करती है, जिसमें साधु संतों और बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वैश्विक आध्यात्मिक नगरी बनने के बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में निस्संदेह कई गुना वृद्धि होगी। इसके समाधान के लिए ही यह नयी योजना लायी जा रही है।
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उल्लेखनीय है कि 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ होना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिंहस्थ क्षेत्र में साधु-संतों के लिए आश्रम, स्कूल-कॉलेज और धर्मशाला बनवाने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री का कहना था कि उज्जैन की पहचान साधु-संतों से है। इनके उज्जैन में रुकने, ठहरने, कथा भागवत करने के लिए भूमि की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए अब उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से भूखंड लेकर लेकर पक्के और स्थायी आश्रम बनाए जा सकेंगे।
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उज्जैन के मास्टर प्लान 2035 के अंतर्गत इस योजना में यदि किसी को आश्रम के लिए पांच बीघा जमीन दी जाती है तो उसमें से चार बीघा जमीन उसे खुली रखनी होगी ताकि वहां कथा, यज्ञ जैसे कार्यक्रम आसानी से हो सकें। परिसर में वाहन भी पार्क किए जा सकें। इन भूखंडों का व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकेगा।
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2023 में संकल्प पत्र के रूप में जारी किए भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में उज्जैन को वैश्विक आध्यात्मिक नगर बनाने का उल्लेख है। सरकार का मानना है कि उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर, क्षिप्रा तट और योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का शिक्षा स्थल महर्षि सांदीपनि आश्रम होने से पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का मेला लगा रहता है। लैंड पूलिंग योजना के अंतर्गत भूमि का अधिग्रहण कर स्थायी सड़क, नाली, बिजली, पानी की व्यवस्था कराकर भूखंड आवंटित करने की योजना बनाई गई है। अब ये भूखंड कितने बड़े होंगे, क्या कोई संस्था या साधु-संत एक से अधिक भूखंड ले सकेगा, इस बारे में नीति अभी तैयार होना शेष है।
वर्ष 2016 और उसके पहले के सिंहस्थ आयोजनों में साधु-संत एवं श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेला क्षेत्र में सड़क, पानी, सीवरेज, बिजली की व्यवस्था अस्थायी की जाती रही है। इन व्यवस्थाओं पर के लिए सरकार को काफी बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है। एक अनुमति के अनुसार पिछले सिंहस्थ में जितनी राशि खर्च हुई, उतने में ईतने ही स्थायी कार्य हो जाते। पिछली बार सरकार ने इन व्यवस्थाओं पर 4500 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में स्वचालित वेंडिंग मशीन से प्रसाद वितरण
उज्जैन में श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए निरंतर नए-नए प्रयास किए जा रहे हैं। इसी तारतम्य में अब ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में स्वचालित वेंडिंग मशीन से श्रद्धालुओं को प्रसाद मिलेगा। भक्तों द्वारा क्यूआर कोड स्कैन कर पेमेंट करने के बाद लड्डू का पैकेट मशीन से बाहर निकलेगा। इसके लिए मंदिर समिति ने कोयंबटूर की 5त्र टेक्नोलॉजी नामक कंपनी को ऑटोमेटिक मशीन का ऑर्डर दिया है।
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मशीन से 100 ग्राम, 200 ग्राम और 500 ग्राम लड्डू के पैकेट प्राप्त होंगे। विश्व प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एकमात्र दक्षिणमुखी भगवान श्री महाकालेश्वर मन्दिर में प्रबंध समिति द्वारा लड्डू प्रसाद निर्माण इकाई एवं निशुल्क अन्नक्षेत्र संचालित किया जाता है। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के दौरान भी गाईड लाइन का पालन करते हुए दर्शनार्थियों को सुलभ दर्शन कराने के साथ-साथ हाईजेनिक लड्डू प्रसाद एवं अन्नक्षेत्र में निशुल्क भोजन प्रसादी की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गयी थी। इसे उच्च उत्कृष्टता स्तर की 5 स्टार रेटिंग में शामिल किया गया।
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इस संबंध में भारत सरकार के एफएसएसएआई द्वारा प्रमाण- पत्र जारी किया जा चुका है। वर्ष 2021 में सम्पूर्ण भारत में श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति द्वारा लड्डू प्रसाद के क्षेत्र में हाईजेनिक उत्कृष्टता में 5 स्टार रेटिंग प्राप्त करने वाला सम्भवत: प्रथम धार्मिक संस्थान है और निशुल्क अन्नक्षेत्र हाईजेनिक उत्कृष्टता 5 स्टार रेटिंग प्राप्त करने वाला धार्मिक संस्थानों में तीसरा संस्थान है।
भारत सरकार की एफ.एस.एस.ए.आई. द्वारा उक्त दोनों ईकाइयों में निरीक्षण कर ऑडिट किया गया और दोनों इकाईयों को उत्कृष्ट माना गया। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति को सेफ भोग प्लेस का प्रमाण-पत्र भी प्राप्त है।
(अंजनी सक्सेना-विभूति फीचर्स)