Friday, April 18, 2025

नवरात्रि: वृक्षों की रक्षा का संदेश देती है शेखनपुर की देवी कंकाली

पर्यावरण की रक्षा भारतीय संस्कृति का एक अंग रहा है, इसी क्रम में एक धार्मिक स्थान ऐसा भी है, जहां प्रतिष्ठित देवी वृक्षों की रक्षा का संदेश देती है।
यह देवी जिस पहाड़ी पर प्रतिष्ठित है, वहां वृक्ष तो क्या उसकी डाली (शाखा) भी काटने से लोग डरते हैं। इतना ही नहीं यदि कोई शाखा अपने आप टूटकर भी गिर जाये तो भी लोग उसका उपयोग नहीं करते हैं। लोगों का कहना है कि यदि इस स्थान से कोई लकड़ी ले जाय तो उसका अनिष्ट होना निश्चित है।

यह देवी है- मां कंकाली, जो राजगढ़ एवं भोपाल जिले के सीमावर्ती ग्राम शेखनपुर में एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित हैं। ग्राम शेखनपुर ब्यावरा तहसील में आता है तथा पार्बती नदी इसी ग्राम के समीप से ही बहती है। शेखनपुर की माता कंकाली, राजगढ़ जिले की ब्यावरा एवं नरसिंहगढ़ तहसील के अतिरिक्त भोपाल जिले के नजीराबाद क्षेत्र के अनेक ग्रामों के निवासियों की आस्था आराधना उपासना एवं श्रद्धा का केन्द्र है।

इस स्थान का इतिहास तो किसी को मालूम नहीं है, पर मान्यता यही है कि यह बहुत ही प्राचीन स्थान है। एक धारणा यह भी है कि माता सती भगवान शिव के अपमान से कुपित होकर जब दक्ष प्रजापति के यज्ञ कुण्ड में कूद गई थी तब उनके शव को अपने कंधे पर रखकर भगवान शिव भ्रमण कर रहे थे। इससे तीनों लोकों में हाहाकार मच गया था। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के विभिन्न अंगों को काटा, जिन स्थानों पर यह अंग गिरे वे शक्तिपीठ के रूप में प्रतिष्ठित एवं प्रसिद्ध हुए। इन अंगों के गिरने के बाद भगवती सती का जो कंकाल बचा वह विभक्त होकर ग्यारह स्थानों पर गिरा। जिन स्थानों पर कंकाल के ये अंश गिरे, वहां माता कंकाली प्रकट हुई। इनमें से एक स्थान शेखनपुर भी है।

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पहिले यह स्थान निर्जन था, बाद में आधा किलोमीटर दूर शेखनपुर गांव अस्तित्व में आया पर आसपास के क्षेत्र में ग्रामवासी इस स्थान के महत्व एवं चमत्कारों से सदियों से परिचित हैं। इसलिए यहां आसपास के क्षेत्रों के निवासी नवरात्रि तथा अन्य त्यौहारों पर पूजा-पाठ के लिए आते रहे। मन्नत मांगने तथा उन मन्नतों के पूर्ण होने पर माता कंकाली की पूजा अर्चना का क्रम भी यहां सदियों से चल रहा है।

वर्ष भर यहां दर्शनार्थियों के आने का क्रम लगा ही रहता है। बाद में यहां माता विजयासन एवं भगवान देव नारायण की भी प्रतिष्ठा हुई। अब शेखनपुर की पहाड़ी मंदिरों की पहाड़ी बन गई है।  इस वर्ष (सन् 2012) में यहां निर्मित विभिन्न मंदिरों में भगवान गणेश, श्रीमाता कंकाली, श्री विजयासन माता, श्री शीतलामाता, श्री हनुमानजी महाराज, श्री देवनारायण महाराज एवं भैरव महाराज की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा हुई है। इस अवसर पर शतचण्डी महायज्ञ का भी आयोजन किया गया जिसमें हजारों नरनारियों तथा साधु संतों ने भाग लिया। गत डेढ़ वर्ष से यहां आने वाले श्रद्धालुओं एवं दर्शनार्थियों की संख्या में चमत्कारिक रूप में वृद्धि हुई है। मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों के अतिरिक्त राजस्थान के श्रद्धालु भी यहां पहुंचते हैं। ग्राम लखनवास या नजीराबाद होकर शेखनपुर पहुंचा जा सकता है।

राजगढ़ के जिला प्रशासन ने भी इस क्षेत्र के विकास में रुचि ली है। राजगढ़ के कलेक्टर श्री एम.बी. ओझा भी इस स्थान पर पहुंच चुके हैं। उन्होंने सैकड़ों नागरिकों की उपस्थिति में इस जागृत एवं धार्मिक स्थान की उन्नति में हर संभव प्रयास का आश्वासन दिया है। इसी दृष्टि से शेखनपुर तक सड़क मार्ग का निर्माण कार्य जारी है। पारबती नदी पर एक रिपटा बनाने की भी योजना है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री शशांक मिश्रा एवं ब्यावरा की अनुविभागीय दण्डाधिकारी नीता राठौर भी इस क्षेत्र के विकास कार्यों में रुचि ले रहे हैं।

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श्री कंकाली माता के धाम शेखनपुर में ग्रामीणों के भजन कीर्तन के कार्यक्रमों के अतिरिक्त रामचरित मानस एवं  दुर्गासप्तशती के पाठ तथा भंडारे आदि के कार्यक्रम भी चलते ही रहते हैं।
दिनेश चंद्र वर्मा – विनायक फीचर्स

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