नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में कॉलेजियम प्रणाली से न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में कानून द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट की खुली अदालत में एक वकील ने सुझाव दिया था कि सुप्रीम कोर्ट को कॉलेजियम प्रणाली और अधिवक्ताओं के ‘वरिष्ठ पदनाम’ की प्रक्रिया में सुधार के बारे में सोचना चाहिए। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “आपको अपने दिल की इच्छा पूरी करने की आज़ादी है। मैं कानून और संविधान का सेवक हूं। मुझे कानून द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना होगा।”
सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाली समिति, जिसे आमतौर पर कॉलेजियम कहा जाता है, शीर्ष अदालत और हाई कोर्ट में न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए सिफारिश भेजती है।
कॉलेजियम मूल रूप से यह तय करता है कि सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में किसे नियुक्त किया जाएगा। परंपरा के अनुसार, यदि निर्णय दोहराया गया है तो सरकार कॉलेजियम की सिफारिश को स्वीकार करने के लिए बाध्य है।
2015 में, पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कॉलेजियम प्रणाली को बदलने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
संविधान के अनुच्छेद 124(2) में प्रावधान है कि “सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश को राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय और राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से परामर्श के बाद अपने हस्ताक्षर और मुहर के तहत वारंट द्वारा नियुक्त किया जाएगा।”
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अक्टूबर में मुंबई के एक वकील द्वारा अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी।