Tuesday, April 1, 2025

हरिद्वार में चैत्र नवरात्रि के दिन मनसा देवी मंदिर में लगा भक्तों का तांता

हरिद्वार। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत रविवार से हो गई है। नवरात्रि को देखते हुए भारी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे हैं और यहां पर गंगा नदी में डुबकी लगाने के बाद मंदिरों में पूजा अर्चना कर रहे हैं। हरिद्वार के विभिन्न मंदिरों में भक्तों की लंबी-लंबी कतार देखने को मिल रही है। यहां स्थित मां मनसा देवी मंदिर में लंबी चढ़ाई चढ़ते हुए भक्त सुबह से पहुंच रहे हैं। यहां पर भक्तों के द्वारा मन्नत धागा भी बांधा जा रहा है।

मान्यता है कि मन्नत धागा बांधने से भक्तों की सभी मुराद मां पूरी करती हैं। मनसा देवी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां जो भी भक्त अपनी सच्ची मुराद के साथ आता है, मां पल भर में ही सबकुछ सुन लेती हैं। यहां दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मुराद पूरी हो जाती है। इसलिए जो भी भक्त हरिद्वार आते हैं, वह मनसा देवी के मंदिर में हाजरी लगाने जरूर पहुंचते हैं। यहां देशभर से श्रद्धालु नवरात्रि के मौके पर पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने उचित व्यवस्था कर रखी है। महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग लाइन बनाई गई है। दिव्यांगों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। दूसरी ओर, मध्यप्रदेश के देवास स्थित मां तुलजा भवानी और मां चामुंडा देवी के मंदिर में चैत्र नवरात्रि के पहले दिन भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। देवास में मां चामुंडा का प्राचीन विशाल मंदिर है। मंदिर प्रशासन द्वारा बताया गया कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां चामुंडा का विशेष श्रृंगार किया गया है।

चामुंडा माता के मंदिर में सुबह महा आरती की गई। इस दौरान हजारों की संख्या में भक्त मंदिर में पहुंचे हुए थे। महा आरती में सभी भक्तों ने मां का आशीर्वाद लिया। मंदिर के पुजारी ने बताया कि आज मां का विशेष श्रृंगार किया गया है। देवास ही नहीं, बल्कि आसपास से भी भारी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं। यहां हर साल चैत्र नवरात्रि पर श्रद्धालु मां का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं। पुजारी के अनुसार, नवरात्रि के पावन पर्व पर लाखों भक्त देश के कोने-कोने से मां चामुंडा के दर्शन करने पहुंचते हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पर आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। मां का मंदिर अति प्राचीन है और यहां मां अपने भक्तों को तीन रूपों में दर्शन देती हैं। मंदिर में कई ऋषि-मुनियों ने तपस्या की है और मंदिर को एक सिद्ध क्षेत्र कहा जाता है।

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