गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के गृह जनपद गोरखपुर स्थित रामगढ़ताल झील कभी उपेक्षित थी। इधर कोई आना नहीं चाहता था। गन्दगी से पटे इस ताल को देखने की ललक भी शायद किसी में नहीं थी, लेकिन अब सूरत बदल गयी है। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद इनकी योग साधना ने यहाँ से गुजरने वाली राप्ती नदी हो अथवा प्रमुख धार्मिक स्थल, सबको पंख लगा दिये हैं। ये सब प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में शुमार हैं।
रामगढ़ताल और राजघाट स्थित राप्ती नदी के दोनों तट कभी गंदगी और अराजकता का डेरा हुआ करते थे, लेकिन आज ये पर्यटन केंद्र के रूप में शुमार हैं। इतना ही नहीं, उपेक्षित पड़े चिलुआताल के दिन भी रामगढ़ताल की तरह बहुर गये हैं और इन्हें सुंदरता के पंख लग चुके हैं। बता दें कि लगभग छह वर्ष पहले रामगढ़ताल गंदगी का पर्याय था। इसमें फैले शैवाल (सेवार) को मुश्किल से ही सफ किया जाता था। इसके लिए भी काफी पापड़ बेलने पड़ते थे, लेकिन अब यह शहर की पहचान है। यह झील अब न सिर्फ साफ सुथरा है बल्कि यहाँ पर्यटकों और क्षेत्रीय लोगों की आवक प्रतिदिन हजारों में है। अब यह रोजगार और सुंदरता का पर्याय बन चुका है। बोटिंग, पानी में साउंड एंड लाइट शो से इसमें चार चांद लग गया है।
योगी की निजी दिलचस्पी ने दिलाई पहचान
वरिष्ठ पत्रकार राजीव दत्त पाण्डेय कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी की निजी दिलचस्पी और कर्म साधना से यह विशाल नैसर्गिक झील पर्यटन का केंद्र बन चुका है। झील के दो किनारों पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लग जाने से अब इसमें शहर का गंदा पानी शोधित होकर पहुंच रहा है। रामगढ़ताल अब खूबसूरत पर्यटन केंद्र है। इसकी खूबसूरती अब लोगों को चौपाटी और मरीन ड्राइव कहने को विवश कर रही है।
अब होने लगी फिल्मों की शूटिंग
वरिष्ठ पत्रकार धीरेन्द्र विक्रमादित्य गोपाल कहते हैं कि अब गोरखपुर के रामगढ़ताल और राप्ती नदी के घाटों पर फिल्मों की शूटिंग होने लगी है। इसके कायाकल्प पर दो सौ करोड़ रुपये से अधिक खर्च होना सुखदायी है। शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) भी पर्यटकों को लुभा रहा है।
धर्म स्थलों के विकास ने बढ़ाई सुंदरता
हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ अनिता अग्रवाल कहती हैं कि गोरक्षनगरी के धर्मस्थलों के विकास को भी सरकार ने पर्यटन से जोड़ा है। गोरखनाथ मंदिर के साथ ही महादेव झारखंडी मंदिर, सूर्यकुंड धाम, श्री विश्वकर्मा मंदिर, कालीबाड़ी मंदिर, मानसरोवर मंदिर, मुक्तेश्वर नाथ मंदिर, जटाशंकर व मोहद्दीपुर गुरुद्वारा जैसे आस्था के स्थल अब निखरे स्वरूप में हैं। साथ ही यहां पर्यटकों, श्रद्धालुओं के लिए सभी सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
कुछ यूँ हुए विकास कार्य
– रामगढ़ताल में मल्टीमीडिया फाउंटेन 13 करोड़ 67 लाख रुपये
– रामगढ़ताल क्षेत्र में नया सवेरा का विकास 18 करोड़ 86 लाख रुपये
– रामगढ़ताल के चारों तरफ बोल्डर पीचिंग 16 करोड़ 23 लाख रुपये
– राप्ती नदी के राजघाट के बाएं तट पर गुरु गोरक्षनाथ घाट का विकास 18 करोड़ 70 लाख रुपये
– राप्ती नदी के राजघाट के दाएं तट पर रामघाट का विकास 15 करोड़ 59 लाख रुपये
– श्री विश्वकर्मा पंचायत मंदिर जटाशंकर का पर्यटन विकास एक करोड़ 19 लाख रुपये
– झारखंडी महादेव मंदिर का पर्यटन विकास 48 लाख रुपये
– कालीबाड़ी मंदिर का पर्यटन विकास 70 लाख रुपये
– शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) का निर्माण 234 करोड़ 36 लाख रुपये
– मानसरोवर स्थल एवं रामलीला मैदान का सौंदर्यीकरण एवं पर्यटन विकास 7 करोड़ 60 लाख रुपये
– रामगढ़ताल परियोजना के अंतर्गत मुक्ताकाशी मंच का जीर्णोद्धार 3 करोड़ 89 लाख रुपये
– रामगढ़ताल के समीप वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स 44 करोड़ 75 लाख रुपये
– योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह एवं सांस्कृतिक केंद्र 53 करोड़ रुपये
– जिला कारागार स्थित बिस्मिल स्मारक का जीर्णोद्धार 1 करोड़ 88 लाख रुपये
– राजकीय उद्यान पार्क में विकास कार्य 2 करोड़ 45 लाख रुपये
– रामगढ़ताल क्षेत्र में बोट जेट्टी का सुंदरीकरण 78 लाख रुपये
– सूर्यकुंड धाम का पर्यटन विकास 2 करोड़ 60 लाख रुपये
– मुक्तेश्वर नाथ मंदिर में पर्यटन विकास के कार्य 2 करोड़ 19 लाख रुपये
– जटाशंकर गुरुद्वारा का सुंदरीकरण 94 लाख
– मोहद्दीपुर गुरुद्वारा का सौंदर्यीकरण एवं पर्यटन विकास के कार्य 1 करोड़ 76 लाख रुपये
– बर्डघाट रामलीला मैदान का सुंदरीकरण 4 करोड़ 88 लाख रुपये
– लालडिग्गी पार्क में विकास कार्य 4 करोड़ 12 लाख रुपये