नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्षी दल मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन के दलों और सांसदों द्वारा मंगलवार 8 अगस्त को भी अपनी यह मांग दोहराई गई कि नियम 267 के अंतर्गत ही चर्चा कराई जाए।
इसके लिए नोटिस भी भेजे गए हैं। लेकिन सरकार मणिपुर मुद्दे पर नियम 176 के अंतर्गत चर्चा के लिए राजी है। मंगलवार को मणिपुर मामले में विस्तार से चर्चा को लेकर कांग्रेस, आरजेडी, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित कई पार्टियों के सांसदों ने राज्यसभा सभापति को नोटिस दिया है।
हालांकि राज्यसभा सभापति व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ कह चुके हैं कि वह 20 जुलाई को ही इस मुद्दे पर अपनी व्यवस्था दे चुके हैं। धनखड़ का कहना कि मैंने 20 जुलाई को ही नियम 176 के अंतर्गत शॉर्ट ड्यूरेशन डिस्कशन की मंजूरी दे दी थी।
सभापति ने कहा, मैने इस मुद्दे पर विभिन्न दलों के नेताओं से अपने कक्ष में मुलाकात भी की थी। इस दौरान मैंने सुझाव दिया कि उनके लिए उपयुक्त समय आवंटित किया जा सकता है, ताकि सभी चिंताओं को सदन के समक्ष व्यक्त किया जा सके।
वहीं विपक्ष का कहना है कि वे मणिपुर हिंसा मामले पर संक्षिप्त चर्चा नहीं चाहते, बल्कि उनकी मांग है कि इस मामले पर विस्तार से चर्चा कराई जाए। विपक्ष के मुताबिक नियम 267 में विस्तार से चर्चा होती है।
कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे का कहना है कि नियम 267 के अंतर्गत चर्चा के उपरांत वोटिंग भी कराई जा सकती है, जबकि नियम 176 के अंतर्गत इस मुद्दे पर केवल संक्षिप्त चर्चा कराई जा सकती है।
इसके अलावा विपक्ष, प्रधानमंत्री के बयान की मांग पर भी अड़ा है। विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री सदन में आकर मणिपुर की स्थिति के बारे में बताएं और उनके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर सदन में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में कह चुके हैं कि वह मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार हैं। अमित शाह का कहना था कि इस मुद्दे पर विपक्ष लंबी बहस करना चाहता, तो वह उसके लिए भी तैयार हैं। हालांकि सत्ता पक्ष मणिपुर चर्चा के उपरांत वोटिंग और नियम 267 के अंतर्गत राज्यसभा में चर्चा किए जाने के पक्ष में नहीं है।