नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि विपक्ष पेपर लीक के मुद्दे को संसद में उठाएगा। उन्होंने कहा, मणिपुर से महाराष्ट्र तक की उनकी न्याय यात्रा में सैकड़ों युवकों ने पेपर लीक का विषय रखा था। पेपर लीक के बाद कार्रवाई होनी चाहिए, सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। पेपर लीक की घटनाओं को राहुल गांधी ने एंटी नेशनल एक्टिविटी कहा है।
उन्होंने कहा कि दावा यहां तक किया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को रोक दिया, लेकिन ऐसा कैसे है कि वह भारत में पेपर लीक को रोकने में सक्षम नहीं हैं। पेपर लीक के पीछे का कारण यह है कि शिक्षा प्रणाली पर भाजपा के मूल संगठन (आरएसएस) का कब्जा हो गया है। जब तक इसे वापस नहीं लिया जाएगा, पेपर लीक होते रहेंगे। विभिन्न परीक्षाएं आयोजित करने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) पर राहुल गांधी ने कहा एनटीए की कोई विश्वसनीयता नहीं है। यदि इन मामलों में केंद्र सरकार एनटीए को क्लीन चिट देती है तो इसका कोई मतलब नहीं है। एनटीए की विश्वसनीयता शून्य है। शिक्षा प्रणाली पर एक संगठन का कब्जा हो गया है। वे हर पद पर अपने लोगों को बिठाते हैं।
इसे पलटना होगा। यूजीसी नेट रद्द किए जाने पर राहुल गांधी ने कहा कि पेपर लीक के बाद कार्रवाई करना एक बात है। लेकिन, पेपर लीक से पहले जो प्रणालियां थी, विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के नियम, उनका पुनर्मूल्यांकन, अध्ययन और पुन: डिज़ाइन करना होगा। ये बातें हमने अपने घोषणा पत्र में लिखी हैं और विपक्ष सरकार पर दबाव बनाकर ये बातें करवाने की कोशिश करेगा। अब यह स्पष्ट है कि हम एक आपदा पर बैठे हैं और हमारे पास एक ऐसी सरकार है, जो अपंग है। यह एक गहरा राष्ट्रीय संकट है।
नीट प्रकरण में बिहार में हो रही जांच को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि जांच होनी चाहिए और जिन लोगों ने भी पेपर लीक कराया है, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। पेपर लीक से देश के युवाओं को, देश के भविष्य को जबरदस्त चोट पहुंचती है।
एक परीक्षा रद्द की गई है, पता नहीं दूसरी परीक्षा रद्द की जाएगी या नहीं। कोई न कोई तो इसके लिए जिम्मेदार है और उनको एकदम पकड़ा जाना चाहिए। कांग्रेस सांसद ने कहा कि अगर आप मेरिट के आधार पर लोगों को नौकरी नहीं देंगे, अगर विचारधारा के आधार पर लोगों को वाइस चांसलर बनाएंगे, अयोग्य व्यक्तियों को वाइस चांसलर बनाएंगे, परीक्षा लेने का जो तरीका है, उसमें एक खास विचारधारा के लोगों को डालेंगे तो ऐसा होगा।
भारत के संस्थान निष्पक्ष नहीं रह गए हैं, उन्हें एक विचारधारा से जोड़ दिया गया है। इसका केंद्र पहले मध्य प्रदेश हुआ करता था। अब, गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश है।