नयी दिल्ली। राज्यसभा ने खनिज क्षेत्र में सुधारों को आगे बढाने वाले अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनिमयमन) संशोधन विधेयक 2023 को गुरूवार को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया।
लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है जिससे इस पर संसद की मुहर लग गयी है।
भोजनावकाश के बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने जैसे ही विधेयक पर चर्चा शुरू करायी विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा कराने की मांग की। उनकी मांग न माने जाने के कारण समूचे विपक्ष के सदस्य कुछ देर नारेबाजी करने के बाद सदन से बहिर्गमन कर गये।
खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि
समुद्री क्षेत्रों में खनन का विनियमन करने वाले इस विधेयक को 2002 के अधिनियम में संशोधन के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक में पर्यावरण, जैव विविधता और खनन क्षेत्रों के आस पास रहने वाले लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए विशेष प्रावधान किया गये हैं । उन्होंने कहा कि खनन प्रक्रिया के संबंध में राज्य सरकारों तथा संबद्ध मंत्रालयों के साथ भी विस्तार से विचार विमर्श किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि समुद्री क्षेत्रों में खनन केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के अनेक देशों में पहले से ही हो रहा है। उन्होंने कहा कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए अब भारत ने भी समुद्री खनिज संसाधन के दोहन का दायरा बढाने तथा महत्वपूर्ण खनिजों के खनन का निर्णय लिया है। उन्होंने कुछ सदस्यों के संदेह को दूर करते हुए कहा कि परमाणु खनिजों के खनन का कार्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अधीन ही रहेगा और यदि निजी क्षेत्र को किसी ब्लाक में परमाणु खनिज का पता चलता है तो यह ब्लाक सरकारी कंपनी को सौंप दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि ब्लाकों का आवंटन पूरी पारदर्शी प्रक्रिया के जरिये नीलामी के माध्यम से किया जायेगा। उन्होंने कहा कि विधेयक में निजी क्षेत्र की भागीदारी का भी प्रावधान किया गया है लेकिन साथ में एक सख्त नियम यह भी बनाया गया है कि यदि कोई कंपनी ब्लाक में चार वर्ष तक खनन कार्य शुरू नहीं करती है तो उसकी लीज रद्द कर दी जायेगी। उन्होंने कहा कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए देश को लीथियम के साथ साथ कोबाल्ट और निकल जैसे खनिजों की भी बड़ी मात्रा में जरूरत है।
उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
विधेयक में समुद्री क्षेत्र में खनन के लिए 30 वर्ष की लीज देने का प्रावधान है। इस लीज को 20 वर्ष तक बढाये जाने की अनुमति दी जा सकती है। विधेयक में निजी कंपनियों को लीज तथा खनन लाइसेंस देने का भी प्रावधान किया गया है। लीज और लाइसेंस नीलामी के जरिये प्रतिस्पर्धी बोली के आधार पर दिये जायेंगे। विधेयक में उन अपतटीय क्षेत्रों को खनन के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है जो किसी परिचालन अधिकार के तहत नहीं आते हैं। इसके अलावा खनिज संसाधनों के दोहन की प्रक्रिया, खनन के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने और किसी आपदा की स्थिति में राशि का भुगतान करने के लिए एक अपतटीय क्षेत्र खनिज न्यास की स्थापना का प्रावधान किया गया है। सरकार ने विधेयक में लाइसेंस के बिना की जाने वाली खनन गतिविधियों पर पांच वर्ष तक की कैद और पांच लाख से दस लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा ने कहा कि परमाणु खनिजों के खनन का कार्य केवल सरकारी कंपनियों को ही दिया जाना चाहिए। उन्होंंने कहा कि विधेयक में गैर कानूनी खनन गतिविधियों के लिए सख्त नियम स्वागत योग्य कदम है।
अन्नाद्रमुक के डा एम थम्बीदुरई ने कहा कि यह विधेयक बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे राष्ट्रीय खनिज संसादन के दुरूपयोग पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
वाई एस आर कांग्रेस के वी विजय साई रेड्डी ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इसके साथ ही देश में समुद्र तल पर खनन के लिए भी अलग से एक नीति बनायी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि समुद्री क्षेत्रों में खनन के दौरान आस पास रहने वाले लोगों के हितों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
बहुृजन समाज पार्टी के रामजी ने कहा कि समुद्री क्षेत्रों में खनन का वहां रहने वाले लोगों तथा पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इससे जैव विविधता भी प्रभावित होगी तथा मछुआरों की आजीविका पर भी असर पड़ेगा।