गाजियाबाद। आजादी के बाद जब रेलवे स्टेशन का विस्तार होना शुरू हुआ तो शुरूआती दौर पर कुछ महत्वपूर्ण स्टेशन को तरजीह दी गई थी जिनमें गाजियाबाद का स्टेशन भी शामिल था।
दिल्ली के बाद अगर सबसे ज्यादा ट्रेनों का परिचालन और देशभर के अलग-अलग हिस्सों में रूट तय किया गया तो वह गाजियाबाद से किया गया। लेकिन एक लंबा समय बीतने के बाद गाजियाबाद के स्टेशन की दशा और दिशा बदल नहीं सकी। क्योंकि इसका सबसे बड़ा कारण था लगातार उस पर बढ़ता हुआ दबाव।
रेल मंत्रालय ने फैसला किया है कि जिन 40 रेलवे स्टेशन को एयरपोर्ट जैसा बनाया जाएगा उनमें गाजियाबाद भी होगा। फंड जारी किए गए हैं जिनके जरिए गाजियाबाद स्टेशन की तस्वीर पूरी तरीके से बदल दी जाएगी। आने वाले समय में गाजियाबाद स्टेशन किसी फाइव स्टार मॉल की तरह दिखाई देगा जिसमें हर तरीके की सुविधाएं जनता के लिए होंगी।
गाजियाबाद का पुराना रेलवे स्टेशन अब एयरपोर्ट की तरह चमकेगा। रेल मंत्रालय ने नए रेलवे स्टेशन के मॉडल की तस्वीर भी जारी की है। इन तस्वीरों में गाजियाबाद का पुराना रेलवे स्टेशन एकदम एयरपोर्ट की तरह चमचमाता दिखाई दे रहा है।
नए रेलवे स्टेशन की प्रशासनिक बिल्डिंग तीन मंजिला होगी। रिजर्वेशन काउंटर, टिकट काउंटर, पूछताछ केंद्र, वेटिंग हॉल एकदम नए डिजाइन में अपग्रेड किए जाएंगे। महिला और पुरुष के लिए अलग-अलग डॉरमेट्री रूम होंगे। नवजात बच्चों के लिए भी अलग कमरों की व्यवस्था रहेगी। स्टेशन से एग्जिट के लिए एक फुट ओवरब्रिज बनेगा, जो पहले से बने धोबी घाट आरओबी से कनेक्ट होगा।
नए फुट ओवरब्रिज इस तरह के बनाए जाएंगे, जिससे यात्री लॉन्ज से सीधे प्लेटफॉर्म पर उतर-चढ़ सकें। इसके अलावा ऐस्कलेटर और लिफ्ट की व्यवस्था होगी। पूरे रेलवे स्टेशन पर वाई-फाई रहेगा। दिव्यांगों व बुजुर्गों के लिए व्हील चेयर मिलेगी। ब्रांडेड कंपनियों का फूड कोर्ट होगा।
गाजियाबाद के रेलवे स्टेशन पर 6 प्लेटफॉर्म हैं। यहां से रोजाना करीब 400 से ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं। इसमें करीब 200 ट्रेनें इसी स्टेशन पर रुक कर जाती हैं। दिल्ली के बाद अगर एनसीआर में कोई दूसरा सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है तो वह गाजियाबाद ही है। गाजियाबाद में गाड़ियों का दबाव कम करने के लिए आनंद विहार रेलवे स्टेशन का निर्माण कराया गया और अब कई ऐसी गाड़ियां है जो आनंद विहार के जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों तक जाती है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां पर इकलौता गाजियाबाद स्टेशन ऐसा था जो देश के अलग-अलग हिस्सों तक लोगों को उनके गंतव्य तक ले जाने का काम किया करता था आने वाले समय में गाजियाबाद रेलवे स्टेशन की तस्वीर बदलने की पूरी उम्मीद है और यह भी माना जा रहा है कि आम आदमी के लिए यह रेलवे स्टेशन किसी फाइव स्टार मॉल से कम नहीं होगा।
रेलवे के नॉर्दन जोन में आने वाला यह रेलवे स्टेशन गाजियाबाद में व्यापार करने वालों और व्यापारियों के लिए एक बड़ा केंद्र साबित हुआ है। सबसे ज्यादा व्यापार के गढ़ को सबसे पहले मेरठ माना जाता था इसीलिए गाजियाबाद पर बहुत ज्यादा प्रेशर रहता था। इसीलिए आज तक गाजियाबाद का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया था।
मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, बागपत, नोएडा, गढ़मुक्तेश्वर समेत कई जिलों के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है गाजियाबाद रेलवे स्टेशन। व्यापार के साथ-साथ आवागमन के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बहुत सारे जिलों के लिए काफी कारगर साबित होता है यह गाजियाबाद रेलवे स्टेशन इसीलिए इस रेलवे स्टेशन पर लगातार आवागमन का और गाड़ियों का प्रेशर बहुत ज्यादा बना रहता है इसी प्रेशर को कम करने के लिए आनंद विहार टर्मिनल को बनाया गया है ताकि इसको दोबारा से रिनोवेट किया जा सके।
गाजियाबाद में मसालों का व्यापार करने वाले व्यापारी दिनेश घर के मुताबिक गाजियाबाद रेलवे स्टेशन इन के लिए आवागमन का सबसे सुगम साधन साबित हुआ है। उन्होंने बताया कि अक्सर उन्हें अपने काम के सिलसिले के लिए लखनऊ और आसपास के जिलों में जाना होता है। गाजियाबाद रेलवे स्टेशन से बहुत आसानी से उन्हें सभी जिलों की गाड़ियां मिल जाती है और वापसी आने में भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती।
इसीलिए उन्होंने अपने व्यापार में काफी तरक्की भी की और यह मानते हैं कि अगर गाजियाबाद रेलवे स्टेशन का पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार होता है तो कहीं ना कहीं गाजियाबाद वाले लोगों के लिए एक वरदान साबित होगा और गाजियाबाद ही नहीं आसपास के जिलों के लिए भी एक बड़ी बात होगी।