प्रधानमंत्री ने कहा कि यह योजना देश में ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी अचल सम्पत्तियों के दस्तावेजीकरण की चुनौतियों को पूरा कर रही है।
श्री मोदी ने इस कार्यक्रम को भारत के गांवों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ऐतिहासिक बताया और इसके लाभार्थियों और नागरिकों को शुभकामनाएं दीं। यह योजना पांच साल पहले ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उनकी संपत्ति कार्ड मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए स्वामित्व योजना शुरू की गई थी। उन्होंने कहा, “पिछले पांच वर्षों में 1.5 करोड़ से अधिक लोगों को स्वामित्व कार्ड जारी किए गए और आज के कार्यक्रम के साथ करीब 2.25 करोड़ लोगों को अब अपने घरों के लिए कानूनी दस्तावेज मिल चुके हैं।
विभिन्न राज्य संपत्ति स्वामित्व प्रमाण पत्र को विभिन्न नामों से संदर्भित करते हैं, जैसे घरौनी, अधिकार अभिलेख, संपत्ति कार्ड, मालमत्ता पत्रक और आवासीय भूमि पट्टा हैं। स्वामित्व योजना के लाभार्थियों के साथ अपनी पिछली बातचीत का जिक्र करते हुए, जिन्होंने बताया कि कैसे इस योजना ने उनके जीवन को बदल दिया है। उन्होंने इस बात पर ध्यान दिलाया कि कानूनी दस्तावेज प्राप्त करने के बाद, लाखों लोगों ने अपनी संपत्ति के आधार पर बैंकों से ऋण लिया, अपने गांवों में छोटे व्यवसाय शुरू किए।
इस कार्यक्रम में कई राज्यों के राज्यपाल, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उपराज्यपाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के मुख्यमंत्री, केंद्रीय पंचायती राज मंत्री और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बाढ़, जलवायु परिवर्तन आदि प्रातिक आपदाओं के बीच दुनिया के सामने एक और महत्वपूर्ण चुनौती संपत्ति के अधिकार और कानूनी संपत्ति के दस्तावेजों की कमी है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन का हवाला दिया, जिसमें पता चला है कि विभिन्न देशों में तमाम लोगों के पास अपनी संपत्ति के लिए उचित कानूनी दस्तावेज नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र का बल है कि गरीबी कम करने के लिए लोगों के पास संपत्ति के अधिकार होने चाहिए।
श्री मोदी ने संपत्ति के अधिकारों की चुनौती पर एक किताब लिखने वाले आर्थिक विशेषज्ञ का हवाला दिया जिसने कहा है कि ग्रामीणों के पास स्वामित्व वाली छोटी मात्रा में संपत्ति अक्सर ‘मृत पूंजी’ होती है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि संपत्ति का इस्तेमाल लेन-देन के लिए नहीं किया जा सकता है और यह परिवार की आय बढ़ाने में मदद नहीं करती है। उन्होंने कहा कि भारत संपत्ति के अधिकारों की वैश्विक चुनौती से अछूता नहीं है। लाखों-करोड़ों की संपत्ति होने के बावजूद, ग्रामीणों के पास अक्सर कानूनी दस्तावेजों की कमी होती है, जिससे विवाद होते हैं और यहां तक कि शक्तिशाली व्यक्तियों द्वारा अवैध कब्जे भी हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि कानूनी दस्तावेजों के बिना, बैंक भी ऐसी संपत्तियों से दूरी बनाए रखते हैं। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि कोई भी संवेदनशील सरकार अपने ग्रामीणों को इस तरह के संकट में नहीं छोड़ सकती। उन्होंने कहा कि इस योजना के लाभ अब दिखाई दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत में छह लाख से अधिक गांव हैं, जिनमें से लगभग आधे में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है।” उन्होंने यह भी कहा कि बहुत से लाभार्थी छोटे और मध्यम किसान परिवार हैं, जिनके लिए ये संपत्ति कार्ड आर्थिक सुरक्षा की महत्वपूर्ण गारंटी बन गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि दलित, पिछड़े और आदिवासी परिवार अवैध कब्जों और लंबे अदालती विवादों से सबसे ज्यादा प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि कानूनी प्रमाणीकरण के साथ, वे अब इस संकट से मुक्त हो जाएंगे।
श्री मोदी ने कहा कि स्पष्ट मानचित्रों और आबादी वाले क्षेत्रों की जानकारी के साथ, विकास कार्य की योजना सटीक होगी, जिससे खराब नियोजन के कारण होने वाली बर्बादी और बाधाएं दूर होंगी। भूमि स्वामित्व से जुड़े विवादों को सुलझाएंगे, जैसे कि पंचायत भूमि और चरागाह क्षेत्रों की पहचान करना, जिससे ग्राम पंचायतों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि संपत्ति कार्ड गांवों में आपदा प्रबंधन को बढ़ाएंगे, जिससे आग, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाओं के दौरान मुआवजे का दावा करना आसान हो जाएगा।